गाजीपुर। मुख्तार अंसारी को जहर देकर मारने का आरोप लगाने वाले उनके बड़े भाई अफजाल अंसारी ने सोमवार को कहा कि मरने से उसकी कहानी खत्म नहीं हुई है। कहानी अब शुरू हुई है। अफजाल ने कहा कि शव को इस तरह से दफनाया गया है कि पांच-दस साल भी उसे परीक्षण के लिए निकाला जाएगा तो पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। उसके साथ अन्याय की पराकाष्ठा हुई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक को नहीं माना गया है। आईसीयू से सीधे किसी को कभी घर नहीं भेजा जाता है। वार्ड में आब्जरवेशन के लिए रखा जाता है लेकिन मुख्तार को आईसीयू से निकालकर सीधे जेल भेज दिया गया।
गौरतलब है कि पिछले मंगलवार को जेल में हालत बिगड़ने पर मुख्तार अंसारी को बांदा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। यहां कुछ घंटे तक आईसीयू में इलाज के बाद जेल भेज दिया गया। इसके अगले दिन दोबारा तबीयत बिगड़ी थी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज किया। तीसरे दिन हालत इतनी बिगड़ी की मेडिकल कॉलेज में मृत घोषित कर दिया गया। डॉक्टरों ने हार्ट अटैक से मौत की बात कही।
मीडिया से बात करते हुए अफजाल ने कहा कि मरने से कुछ घंटे पहले मुख्तार अंसारी की अपने बेटे उमर अंसारी और बहू निखत से बात हुई थी। कहा कि बातचीत का ऑडियो हर जगह चल रहा है। उसे सुनिये। मुख्तार साफ कह रहा है कि दस दिन से न पेशाब हो रहा है न मोशन हुआ है। वह खुद से उठ बैठ भी नहीं पा रहा है। आईसीयू से निकालकर सीधे जेल भेजने वाला डॉक्टर कह देता है कि उनका हालत बिल्कुल ठीक है। अगर ठीक थी तो 24 घंटे बाद ही क्यों वह मर गया।
अफजाल ने कहा कि मुख्तार अंसारी का प्लांड मर्डर हुआ है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, जेल के डॉक्टर, जेल प्रशासन, सरकार की तरफ से सादी वर्दी में घूमने वाले एलआईयू और एसटीएफ के लोगों ने पूरी योजना के साथ उसकी हत्या की है। उसका विसरा भी सुरक्षित किया गया है। हार्ट अटैक की बातें कहीं जा रही हैं। दिल भी जांच के लिए गया है। अगर कोई व्यक्ति दस दिन से पेशाब औऱ मोशन नहीं कर पा रहा है। खुद से उठ बैठ भी नहीं पा रहा है। क्या इस तरह की परिस्थितियां बना देना हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार नहीं है।
अफजाल अंसारी ने धमकी भरे लहजे में कहा कि उसकी बॉडी को इस तरह से दफनाया गया है कि पांच-दस साल बाद भी परीक्षण के लिए कब्र से निकाला जाएगा तो पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। मुख्तार की कहानी खत्म नहीं हुई है, अब शुरू हुई है। जेल में बंद करने के बाद उसके खिलाफ 50 मुकदमे लिखे गए। यह अन्याय की प्रकाष्ठा है।
अफजाल ने कहा कि किसी की औकात की पहचान उसकी अंतिम यात्रा से होती है। उसकी अंतिम यात्रा में लोग शामिल न हों सके इसका पूरा इंतजाम अफसरों ने किया। गाजीपुर के आसपास के जिलों में अधिकारियों ने दहशत का माहौल बनाने का प्रयास किया। इसके बावजूद परिणाम यह रहा कि हुजूम का हुजूम उसके जनाते में शामिल होने के लिए आया। अधिकारी यह सब देखकर पागल हो गए थे।
अफजाल ने कहा कि आज तक इस देश में किसी की शवयात्रा ले जाने के लिए यह नहीं पूछा जाता कि कितने लोग श्मशान घाट जाएंगे। या कितने लोग चिता पर लकड़ी रखेंगे। नमाजे जनाता में कितने लोग आएंगे और कितने लोग मिट्टी डालेंगे यह अधिकारी तय करने की कोशिश कर रहे थे। उसका वीडियो भी सभी ने देखा है। सरकार के इशारे पर अधिकारी आचार संहिता उल्लंघन पर कार्रवाई की धमकी दे रहे थे। क्या यह राजनीतिक कार्यक्रम था या कोई जनसभा थी। चुनाव के दौरान अगर कोई मरता है तो उसकी मिट्टी के लिए भी इजाजत कभी लेनी होती थी क्या। यह केवल और केवल अहंकार की प्रकाष्ठा थी। सरकार ने अधिकारियं का मन बढ़ाया है। क्या हम उसकी लाश पर मिट्टी भी नहीं देंगे। मिट्टी देने के लिए भी इजाजत लेनी होगी?
अफजाल ने कहा कि जब मुख्तार अंसारी अपने वकील से मिला और जहर की बात कह दी तो खलबली मच गई। इसके बाद जेलर और डिप्टी जेलर को सस्पेंड किया गया। जेल का रहस्य बाहर आते ही जेलर डिप्टी जेलर निलंबित हो गए। मुख्तार अंसारी को उसके वकील से मिलने देने की सजा जेलरों को दी गई।
अफजाल ने कहा कि मुख्तार अंसारी को जब यूपी लाया गया था उस समय भी तबीयत ठीक नहीं थी। जब यूपी भेजा गया था तब भी कोर्ट ने आदेश दिया था कि उसके इलाज के लिए जहां जरूरत होगी भेजा जाएगा। बाद में मुख्तार की सुरक्षा की समीक्षा का भी आदेश दिया गया। उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया गया। लेकिन किसी निर्देश को नहीं माना गया। आईसीयू में बेहद क्रिटिकल मरीजों को भर्ती किया जाता है। आईसीयू के बाद कुछ दिन वार्ड में रखकर आब्जर्वेशन किया जाता है। लेकिन आईसीयू से सीधे जेल भेज दिया गया। उसकी सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई है, अब भी मामला चल रहा है।
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