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Organic vs Synthetic Colors : होली (Holi 2025) की मस्ती में केमिकल वाले रंग आपकी खुशियों के विलेन भी बन सकते हैं. इनसे सेहत को गंभीर तरीके से नुकसान पहुंच सकता है. खासकर आंख, कान, नाक, मुंह और स्किन को. यही कारण है कि हर्बल रंगों या नेचुरल कलर से होली खेलने की सलाह दी जाती है. इनसे न स्किन और ना ही एनवायरमेंट को नुकसान पहुंचता है. 14 मार्च को होली से पहले आइए जानते हैं ऑर्गेनिक और सिंथेटिक कलर में क्या अंतर होता है. हर्बल कलर (herbal colors) के इस्तेमाल से क्या फायदे होते हैं…

ऑर्गेनिक कलर क्या होता है

1. ऑर्गेनिक रंग को ही नेचुरल या हर्बल कलर कहते हैं. ये कई तरह के पौधों की पत्तियों, फूलों से बनाए जाते हैं.इनका सेहत पर कोई निगेटिव असर नहीं पड़ता है.

2. ऑर्गेनिक कलर सेफ और नॉन-टॉक्सिक होते हैं, जिससे स्किन और पर्यावरण को नुकसाननहीं होता है.

सिंथेटिक कलर क्या हैं

1. सिंथेटिक होली कलर्स (Synthetic Colors) में लेड ऑक्साइड, एल्युमिनियम ब्रोमाइड, मरकरी सल्फाइट, कॉपर सल्फेट जैसे हानिकारक केमिकल्स होते हैं.

2. सिंथेटिक कलर आंखों, त्वचा, बाल को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. 

3. सिंथेटिक कलर अगर देर तक त्वचा पर रहे तो स्किन के पोर्स से शरीर के अंदर चले जाते हैं और कई शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकते हैं.

4. केमिकल वाले कलर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

हर्बल कलर से होली क्यों खेलनी चाहिए

हर्बल या नेचुरल रंगों में लेड ऑक्साइड नहीं पाया जाता है, जो आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है. इससे स्किन एलर्जी नहीं होता है. ये टॉक्सिस भी नहीं होते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है. ये कलर इको फ्रेंडली होते हैं.

सिंथेटिक कलर से होली क्यों नहीं खेलना चाहिए

सिंथेटिक रंगों को बनाने में कई तरह के केमिकल्स मिलाए जाते हैं, जो बालों, त्वचा के लिए अनहेल्दी होते हैं. इन कलर से होली खेलने से डर्माटोसेस, डिस्कलरेशन, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस जैसे स्किन डिसऑर्डर हो सकती है. इनकी वजह से बाल झड़ने, ड्राई हेयर जैसी प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं. सिथेंटिक कलर्स वातावरण, हवा, मिट्टी, पानी सभी पर नकारात्मक असर डालते हैं. 

 

 

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