Mauni Amavasya 2025: महाकुंभ के महापर्व का उत्सव भारत ही नहीं विदेश तक में छाया हुआ है. महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. प्रयागराज के संगम तट पर श्रद्धालु की श्रद्धा का अद्भुत दर्शन होता है. देश-विदेश से लोग कुंभ स्नान करने आते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ स्नान करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है. महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है. जानते हैं शाही स्नान की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में.
महाकुंभ में इस साल तीन शाही स्नान होंगे. पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को हुआ था. जब करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा था और उन्होंने शाही स्नान किया था. दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी यानि बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन होगा. मौनी अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या के रूप में मनाई जाती है. इस दिन मौन व्रत रहकर स्नान करना चाहिए.
मौनी अमावस्या से जुड़ी कुछ खास बातें:
- साल 2025 में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी
- मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है
- मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ मेले में दूसरा शाही स्नान होगा
- मौनी अमावस्या के दिन कुंभ स्नान करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है
- इस दिन गंगा स्नान के साथ-साथ पितरों का तर्पण और दान किया जाता है
- मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और पितरों को शांति मिलती है
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ करने का विशेष महत्व है.
- इस दिन मौन व्रत भी रखा जाता है
- जो व्यक्ति मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करता है उसके घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है
- मौनी अमावस्या को माघ अमावस्या भी कहते हैं
शाही स्नान का शुभ मुहूर्त-
इस दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:18 बजे तक रहेगा. शुभ मुहूर्त में स्नान करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है और आपके सारे पापों का नाश होता है.
मौनी अमावस्या पर क्यो रखा जाता है मौन व्रत-
- आत्म-चिंतन और आत्म-शुद्धि: मौन व्रत रखने से व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को समझने का अवसर मिलता है. यह आत्म-चिंतन और आत्म-शुद्धि के लिए एक अच्छा समय होता है.
- प्राकृतिक संतुलन: मौन व्रत रखने से व्यक्ति प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है. यह व्यक्ति को प्राकृतिक चक्रों के साथ जुड़ने का अवसर देता है.
- ध्यान और एकाग्रता: मौन व्रत रखने से व्यक्ति को ध्यान और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. यह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है.
- पापों का प्रायश्चित: मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का प्रायश्चित होता है. यह व्यक्ति को अपने पापों को धोने का अवसर देता है.
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