Why Pawan Singh choose Karakat instead of Ara lok sabha seat when left Asansol trouble for Upendra Kushwaha

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भोजपुरी स्टार और बीजेपी के बागी नेता पवन सिंह ने बिहार की काराकाट लोकसभा क्षेत्र के चुनावी अखाड़े में उतरने की घोषणा कर इस इलाके की सियासी हलचल बढ़ा दी है। काराकाट में एनडीए के घटक दल आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा मैदान में हैं। पवन सिंह के आने से एनडीए के समक्ष थोड़ी परेशानी जैसी स्थिति खड़ी हो सकती है। पवन सिंह के समर्थक बताते हैं कि आरा में उन्हें स्पेस नहीं दिख रहा था। ऐसे में उन्हें काराकाट को सही माना। उनके चुनाव लड़ने की घोषणा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। 

दरअसल, पवन सिंह को बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से लोकसभा का टिकट दिया था। मगर बाद में उन्होंने पार्टी को टिकट वापस लौटा दिया था। बाद में उनके आरा से चुनाव लड़ने की चर्चा चली, लेकिन वहां से भी बीजेपी ने मौजूदा सांसद आरके सिंह पर ही फिर से भरोसा जताया। 

काराकाट क्षेत्र में हुए पिछले तीनों चुनावों में कुशवाहा उम्मीदवार ही सांसद चुने जाते रहे हैं। इसके पहले के संसदीय क्षेत्र बिक्रमगंज में आखिरी बार 2007 में उपचुनाव हुआ था, जिसमें स्वर्गीय अजीत सिंह की पत्नी मीना सिंह सांसद चुनी गई थीं। नए परिसीमन के बाद काराकाट में कुशवंशी मतदाताओं की संख्या में अपेक्षाकृत वृद्धि होने के बाद भी सांसद चुने जाने में रघुवंशी (राजपूत) मतदाताओं की अहम भूमिका रही है। 

इस बार भी एनडीए और इंडिया महागठबंधन ने कुशवंशी उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। एनडीए ने आरएलएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और इंडिया ने भाकपा माले के पूर्व विधायक राजाराम सिंह को यहां उतारने की घोषणा की है। दोनों ही कोइरी जाति के हैं।

काराकाट से निर्दलीय ताल ठोकने वाले पवन सिंह ने अपने ग्लैमर व्यक्तित्व के अलावा अपनी जाति के मतदाताओं से आस है। यही वजह है कि उन्होंने आरा के बदले काराकाट से उतरने की घोषणा की है। हालांकि यहां आखिरी चरण में एक जून को मतदान होना है। ऐसे में पवन सिंह अंतिम समय तक कितना प्रभावी रहेंगे, अभी स्पष्ट तौर पर कहना मुश्किल है। 

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वैसे पवन सिंह की काराकाट इलाके में कोई विशेष सामाजिक या राजनीतिक गतिविधि नहीं रही है। वे आरा जिला मुख्यालय या अपने गांव भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के जोकहरी ही आते-जाते रहे हैं। उनके काराकाट से  चुनाव लड़ने से एनडीए की एकजुटता पर असर हो सकता है। एनडीए ने काराकाट सीट आरएलएम को दी है ऐसे में बीजेपी के ही नेता पवन सिंह बागी होकर चुनाव लड़ेंगे तो लोगों में बेहतर संदेश नहीं जाएगा। 

पवन राजपूत समाज से हैं। अजीत सिंह की पत्नी मीना सिंह के बाद पहली बार अगड़ा समाज से कोई प्रत्याशी यहां उतर रहा है। उपेंद्र और माले प्रत्याशी राजाराम सिंह दोनों ही एक जाति से आते हैं। ऐसे में पवन सिंह को मिले वोट से एनडीए को नुकसान का खतरा अधिक है।

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