Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर तमाम राजनीतिक दलों ने सियासी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रत्याशियों का ऐलान शुरू कर दिया है. आमतौर पर चुनाव में किसी भी सीट पर जातिगत और डेमोग्राफी के आधार पर बने सियासी समीकरण जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. इस बीच केरल की वायनाड संसदीय सीट (Wayanad Parliamentary Constituency) लगातार सुर्खियों में है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने बुधवार (3 अप्रैल) को वायनाड सीट से नामांकन दाखिल किया. राहुल गांधी वायनाड सीट से लगातार दूसरी बार संसद पहुंचने की कोशिश करेंगे. उत्तर केरल की वायनाड सीट की डेमोग्राफी को लेकर कई दावे किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि हकीकत में ये कितने मजबूत हैं?
क्या वायनाड है मुस्लिम बहुल सीट?
इंडिया स्टैट इलेक्शन के आंकड़ों के मुताबिक वायनाड लोकसभा सीट पर 40 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, सीट पर 40 फीसदी हिंदू मतदाता हैं. 20 फीसदी वोटर ईसाई समुदाय से हैं. इस सीट पर एससी और एसटी मतदाताओं की संख्या क्रमश: 7 फीसदी और 9.3 फीसदी है. वायनाड सीट पर ग्रामीण मतदाता 93 फीसदी और शहरी मतदाता 7 फीसदी हैं.
राहुल गांधी ने दर्ज की थी 2019 में बड़ी जीत
उत्तर केरल की वायनाड लोकसभा सीट अपनी ऐतिहासिक इमारतों और प्राकृतिक नजारों के लिए मशहूर है. 2008 में हुए परिसीमन के बाद से वायनाड सीट कांग्रेस के मजबूत गढ़ के तौर पर उभरकर सामने आई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने इस सीट पर शानदार वोट मार्जिन से जीत हासिल की थी.
सीपीआई के प्रत्याशी को दी थी मात
2019 में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 706367 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, सीपीआई (CPI) के उम्मीदवार पीपी सुनीर को 274597 वोट मिले थे. राहुल गांधी ने 431770 वोटों के अंतर से पीपी सुनीर को पछाड़ा था.
इस बार क्या है समीकरण?
राहुल गांधी के लिए इस बार वायनाड लोकसभा सीट की राह आसान नहीं होने वाली है. सीपीआई ने इस सीट पर पार्टी महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बीजेपी ने केरल प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को चुनावी मैदान में उतारा है.
ये भी पढ़ें:
ABP Cvoter Survey: नीतीश से नाराज और मोदी से खुश, जानें किसको प्रधानमंत्री बनाना चाहती है बिहार की जनता
Read More at www.abplive.com