जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर चीलों के झुंड का वीडियो वायरल! भविष्य मालिका की भविष्यवाणियां फिर चर्चा में!

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Jagannath Temple eagle viral video: उड़ीसा के पुरी जगन्नाथ धाम मंदिर के ऊपर बीते दिन शुक्रवार को चील के चक्कर लगाने का नजारा सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. स्थानीय लोग इस भविष्य मालिका की भविष्यवाणियों से जोड़कर देख रहे हैं.

कुछ लोग इसे भगवान का दिव्य संकेत मानते हैं और कुछ चेतावनी, वहीं मंदिर के अधिकारियों के मुताबिक यह मात्र एक कुदरती घटना है, जिसने इस पल को शकुन, विश्वास और नीलचक्र से जुड़े रहस्यों के बारे में सालों पुरानी बातचीत को फिर से हवा दे दी है. 

जगन्नाथ धाम में चील का वीडियो वायरल

हाल ही के दिनों में जगन्नाथ मंदिर के ऊपर ऊड़ते हुए चीलों के एक वीडियो ने कई ऐसी थ्योरीज को जन्म दिया है, जिसे लोग हिंदू धर्म की पौराणिक कहानिया, स्थानीय मान्यताओं और भविष्य मालिका की चेतावनी से जोड़ रहे हैं.

ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि वायरल वीडियो में सैकड़ो पक्षी नील चक्र के ऊपर चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं. 

दरअसल भविष्य मालिका भविष्यवाणियों से संबंधित एक ग्रंथ है, जिसे 1400 के दशक में ओडिसा के 5 संतों, जिन्हें पंचसखाओं भी कहा जाता है, उन्होंने भगवान जगन्नाथ के मार्गदर्शन में लिखा था. भविष्य मालिका मूल रूप से ताड़ के पत्तों पर लिखी एक लिखावट है, जिसमें भविष्य से जुड़ी अनसुनी और रहस्यमयी घटनाओं का जिक्र है. इसके साथ ही इसमें कलयुग के अंत से लेकर सत्ययुग की शुरुआत का भी उल्लेख किया गया है.

पक्षियों का आना प्राकृति आपदा का संकेत

भविष्य मालिका ग्रंथ के अनुसार, मंदिर के झंडे पर बार-बार चील जैसे पक्षियों का आना प्राकृतिक आपदा या युद्ध जैसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है. यह बात सुनने में असामान्य लग सकती है, लेकिन माना जाता है कि गरुड़ की सुरक्षा के कारण ही पक्षी मंदिर के आसमान में नहीं जाते हैं. 

मंदिर के ऊपर चीलों के चक्कर लगाने को लेकर जहां कुछ लोग इसे अशुभ संकेत मानते हैं, वहीं कुछ लोग इसे शुभ संकेत मान रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कई भक्त चील को भगवान विष्णु की सवारी गरुड़ से जुड़ा पवित्र पक्षी मानते हैं. उनका वायरल वीडियो को लेकर मानना है कि, ये पक्षी मंदिर के लिए शुभ संकेत और आशीर्वाद लेकर आते हैं. 

वायरल वीडियो पर मंदिर के अधिकारियों का बयान

इस घटना को लेकर मंदिर के अधिकारियों का बयान भी सामने आया है. उनके मुताबिक चील का मंदिर के शिखर पर चक्कर लगाना मात्र एक कुदरती घटना है. जो कहीं न कहीं ये बताता है कि, इन थ्योरी से जुड़ी भविष्यवाणियां मात्र आज के जमाने में कुदरती घटना हो सकती है. 

पुरी जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान करते हैं. भगवान जगन्नाथ को कलयुग का भगवान भी कहा जाता है. जगन्नाथ स्वामी के भजन और उनका स्वरूप काफी मनमोहक है. मंदिर से जुड़ी ऐसी कई चीजें हैं, जो आपको हैरान कर सकती है. 

जगन्नाथ धाम के 10 ऐसे रहस्य जो इस मंदिर को खास बनाते हैं?

मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है, जो हर किसी को हैरत में डालता है. 

मंदिर के शिखर पर लगा नील चक्र भी अपने आप में रहस्यों से भरा है. इसे आप जिस भी दिशा से देखेंगे आपको ऐसा लगेगा जैसे कि वो आपकी ओर देख रहा है. 

मंदिर के सिंह द्वार से अंदर प्रवेश करने पर साफ तौर पर समुद्र के लहरों की आवाज को सुना जा सकता है, जबकि बाहर खड़े होने पर आवाज स्पष्ट सुनाई नहीं देती है. 

मंदिर के मुख्य शिखर की छाया कभी भी जमीन पर नहीं पड़ती है, जो कहीं न कहीं वास्तुकला का स्पष्टा उदाहरण हैं.

जगन्नाथ धाम मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की मूर्ति अधूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजा विश्वकर्मा ने इसे बीच में ही रोक दिया था.

मंदिर की रसोई भी रहस्यों से भरी है, जहां 400 से ज्यादा चूल्हों पर 56 तरह के भोजन को पकाया जाता है. सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि, मिट्टी के सात बर्तनों में सबसे पहले ऊपर वाले बर्तन का भोजन पकता है, जबकि सबसे नीचे वाला आखिरी में. 

मंदिर को लेकर एक मान्यता ये भी है कि, मंदिर के ऊपर से कोई भी पक्षी नहीं उड़ता है, क्योंकि गरुड़ भगवान उनकी रक्षा करते हैं.

मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज प्रतिदिन बदलता है, जिसका वजन 30 किलो से ज्यादा होता है. अगर एक भी दिन मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज बदला न जाए तो 18 सालों तक मंदिर बंद हो सकता है. 

स्कंद पुराण के मुताबिक, जगन्नाथ धाम की यात्रा करने से व्यक्ति मृत्यु और जीवन चक्र से मुक्त हो जाता है. 

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