Bhagavat Gita importance and lessons: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवत् गीता की प्रति भेंट की. रूसी भाषा में गीता भेंट करना एक मजबूत सांस्कृतिक संकेत था जो दर्शाता है कि भारत पश्चिम से दूरी भी नहीं चाहता और रूस को भी अपने करीब रखेगा. यही इस ग्रंथ की प्रमुख शिक्षा है. रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ भारत भगवत् गीता के बहाने आध्यात्मिक जुड़ाव के सहारे भारत ऐसा डिप्लोमेटिक रास्ता तैयार कर रहा है, जिसमें अगर कभी तनाव की संभावना आए तो भी संवाद जारी रहे. यह तोहफा दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करने का काम करेगा. पीएम मोदी अक्सर दुनिया के लाखों लोगों को प्रेरित करने वाली गीता की शिक्षाओं का उल्लेख करते हैं. इस उपहार के माध्यम से उन्होंने भारत के इस ज्ञान को वैश्विक मंच पर साझा किया. ऐसे सांस्कृतिक उपहार राजनयिक संबंधों में गर्माहट लाते हैं.
Presented a copy of the Gita in Russian to President Putin. The teachings of the Gita give inspiration to millions across the world.@KremlinRussia_E pic.twitter.com/D2zczJXkU2
—विज्ञापन—— Narendra Modi (@narendramodi) December 4, 2025
भारत अपनी सॉफ्ट पावर नीति के तहत ऐसे प्रतीकात्मक कार्य करता है. यह उपहार रक्षा और ऊर्जा सौदों से परे दोनों देशों के बीच एक गहरे और बौद्धिक संबंध को दर्शाता है.
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भगवत् गीता पढ़ना क्यों जरूरी है?
भगवत् गीता किसी विशेष धर्म या जाति तक सीमित नहीं है. भगवत् गीता पढ़ने से अपने जीवन में चुनौतियों का सामना करने, सही निर्णय लेने और जीवन के उद्देश्य को समझने में आसानी होती है. यह जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करती है. महाभारत युद्ध के मैदान में जब अर्जुन मोह और कर्तव्य के बीच फंस गए थे तो श्रीकृष्ण से मिले ज्ञान से अर्जुन को सही मार्ग मिला. इसका ज्ञान किसी विशेष धर्म या संप्रदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण मानव जाति के लिए एक सार्वभौमिक जीवन दर्शन है, जिसे किसी भी देश या संस्कृति के लोग अपना सकते हैं. भगवत गीता का ज्ञान इसलिए जरूरी है क्योंकि यह जीवन जीने की कला सिखाता है, सही-गलत का बोध कराता है और व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्रदान करता है.
भगवत् गीता से क्या मिलती है सीख?
भगवत् गीता को पढ़ने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और समस्याओं का समाधान मिलता है और वह स्वयं को जानने, अपनी आत्मा से जुड़ने और जीवन के वास्तविक स्वरूप को समझने लगता है. गीता जीवन की चुनौतियों से निपटने के तरीके सिखाती है, जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है. गीता के श्लोक ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ में जीवन का सार छिपा है कि मनुष्य को फल की इच्छा किए बिना अपने काम को पूरी ईमानदारी से करना चाहिए. जो श्रेष्ठ पुरुष करता है, वही समाज के लिए आदर्श बनता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि हमारे कर्म दूसरों पर प्रभाव डालते हैं. भगवत गीता एक मार्गदर्शक और आध्यात्मिक शिक्षक है जो मनुष्य को जीवन के हर पहलू में सही दिशा दिखाती है और उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करती है.
पुतिन से पहले PM मोदी ने किस-किस को भेंट की गीता?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पहले कई राष्ट्राध्यक्षों और गणमान्य व्यक्तियों को आधिकारिक तौर पर भगवत् गीता भेंट की है.
- 2014 में जापान यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने जापानी भाषा में लिखी भगवत् गीता वहां के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भेंट की थी.
- 2014 में अमेरिका यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भगवत् गीता की एक प्रति भेंट की थी.
- 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत यात्रा के दौरान साबरमती आश्रम में पीएम मोदी ने मंदारिन भाषा में लिखी भगवत् गीता भेंट की थी.
- इनके अलावा आस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट समेत कई अन्य वैश्विक नेताओं और सांस्कृतिक शोधकर्ताओं को भी समय-समय पर भगवत् गीता की प्रतियां भेंट की गई हैं.
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