पाकिस्तान में खंडहर हो रहे 1763 पूजा स्थल, हिंदू-सिखों के लिए सिर्फ 37 मंदिर और गुरुद्वारे, अंदर के हालात क्या?


पाकिस्तान में हिंदू और सिखों के 1800 पूजा स्थल हैं, जिनमें सिर्फ 37 ही काम कर रहे हैं. यानी 1763 पूजा स्थल बंद हैं. 3 दिसंबर को पाकिस्तान की संसदीय समिति को बताया गया कि कुल 1800 स्थलों में सिर्फ 37 ही सक्रिय हैं. इसकी दो बड़ी वजहें हैं…

  • इन इलाकों में हिंदू और सिखों की आबादी बहुत कम है.
  • रखरखाव करने वाली सरकारी एजेंसी ठीक से काम नहीं कर रही है.

3 दिसंबर को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में संसदीय अल्पसंख्यक कोकस की पहली बैठक हुई. इसके चेयरमैन सीनेटर दानेश कुमार हैं. बैठक में हिंदू, सिख और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर चर्चा हुई. समिति ने अपने काम के नियम को सर्वसम्मति से अपनाया. समिति ने सरकार से मांग की है कि इन स्थलों को बहाल किया जाए. शिक्षा और नौकरी में अल्पसंख्यकों के लिए बेहतर सुविधाएं दी जाएं. 

पाकिस्तान में पूजा स्थलों के आंकड़े क्या हैं?

  • हिंदुओं के कुल 1285 पूजा स्थल (मंदिर).
  • सिखों के 532 गुरुद्वारे.
  • कुल मिलाकर करीब 1800 स्थल.
  • लेकिन सिर्फ 37 ही चालू हैं.

दरअसल, 1947 के बंटवारे के बाद इन इलाकों से हिंदू-सिख समुदाय चले गए और अब वहां उनकी संख्या कम है. साथ ही, इवैकी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) नाम की सरकारी संस्था इनकी देखभाल ठीक से नहीं कर रही. डॉ. रमेश कुमार वांकवानी (सिख समुदाय के नेता) ने ETPB की आलोचना की और कहा कि यह संस्था अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही है.

समिति ने क्या सिफारिशें कीं?

  • ETPB के चेयरमैन को गैर-मुस्लिम बनाया जाए.
  • सभी 1800 स्थलों को बहाल किया जाए.
  • यह स्थल धरोहर (हैरिटेज) के रूप में बने रहें और दूसरे इलाकों से आने वाले हिंदू-सिख लोग वहां पूजा कर सकें.
  • अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्कॉलरशिप बढ़ाई जाए.
  • स्कूल की किताबों (इंग्लिश और उर्दू में) से नफरत फैलाने वाली और भेदभाव वाली सामग्री हटा दी जाए.
  • धार्मिक पढ़ाई सिर्फ उसी धर्म की किताबों तक सीमित रखी जाए.
  • हिफ्ज-ए-कुरान के लिए जो 20 नंबर एक्स्ट्रा मिलते हैं, वैसा ही अल्पसंख्यकों के लिए भी हो.
  • गैर-मुस्लिमों के लिए नौकरी का कोटा बढ़ाया जाए.
  • समिति की मीटिंग में कम से कम एडिशनल सेक्रेटरी लेवल के सीनियर अधिकारी शामिल हों.

सीनेटर दानेस कुमार ने कहा, ‘यह कोकस संविधान के गारंटी को असल जिंदगी में लागू करने का काम करेगा, ताकि गैर-मुस्लिमों के लिए व्यावहारिक सुरक्षा और नीतिगत बदलाव हो सकें.’

एमएनए केसू मल खियाल दास ने पाकिस्तानी अखबार डॉन से कहा कि ज्यादातर मंदिर और गुरुद्वारे 1947 में छोड़ दिए गए थे क्योंकि स्थानीय समुदाय चले गए. लेकिन सरकार को इन्हें संभालना चाहिए, ताकि पूरे देश से लोग आकर पूजा कर सकें.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठी
यह बैठक अल्पसंख्यकों के लिए एक बड़ा कदम है. समिति ने वादा किया है कि पूजा स्थलों की मरम्मत, शिक्षा-नौकरी में बराबरी और धरोहर संरक्षण पर तेजी से काम होगा. अगर यह सिफारिशें लागू हुईं, तो पाकिस्तान में हिंदू-सिख समुदाय को ज्यादा सुरक्षा और सम्मान मिलेगा.

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