When HIV Symptoms Start To Appear: HIV यानी ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है जो हमारे शरीर की इम्क्षयून सिस्टम पर हमला करता है. यह खास तौर पर CD4 टी-सेल्स और मैक्रोफेज को निशाना बनाता है, जो शरीर को इंफेक्शन से बचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वायरस धीरे-धीरे इन सेल्स को कमजोर करता जाता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटती चली जाती है. जब इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है, तो शरीर सामान्य इंफेक्शन से भी लड़ नहीं पाता. ऐसे में कई तरह के रेयर इंफेक्शन और कैंसर आसानी से हमला कर सकते हैं. इन्हें ऑपर्च्युनिस्टिक इंफेक्शंस कहा जाता है, यानी ऐसे इंफेक्शन जो मौके का फायदा उठाते हैं.
AIDS क्या है?
AIDS का मतलब है एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम. यह HIV इंफेक्शन का सबसे गंभीर स्टेप होता है, जब शरीर का इम्यून सिस्टम काफी हद तक नष्ट हो चुका होता है. HIV ही AIDS का कारण है, और डॉक्टर इसकी पहचान विशेष तरह के इंफेक्शन और शरीर में आई इम्यून कमी के आधार पर करते हैं.
HIV के शुरुआती लक्षण
अधिकतर लोग HIV होने पर शुरुआत में समझ ही नहीं पाते कि वे इंफेक्टेड हो चुके हैं. कुछ लोगों में शुरुआती दिनों में फ्लू जैसे लक्षण दिख सकते हैं जैसे बुखार, रैश, जोड़ों में दर्द, लिम्फ नोड्स का सूजना. यह दौर सीरो-कन्वर्जन कहलाता है, यानी जब शरीर वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू करता है। यह आमतौर पर संक्रमण के 1से 2 महीने के भीतर होता है. भले ही लक्षण न दिखें, HIV से इंफेक्टेड व्यक्ति उस समय भी दूसरों को वायरस दे सकता है. HIV का पता केवल HIV टेस्ट से ही चलता है. समय के साथ HIV इम्यून सिस्टम को कमजोर करता रहता है. जब प्रतिरोधक क्षमता बहुत गिर जाती है, तो शरीर बार-बार इंफेक्शन्स का शिकार होता है, और यही स्थिति आगे चलकर AIDS में बदल जाती है
HIV कब AIDS बन जाता है?
Unaids के अनुसार, AIDS, HIV इंफेक्शन का सबसे एडवांस्ड स्टेज है. अगर इलाज न किया जाए, तो अधिकतर मरीज 8 से 10 साल के भीतर AIDS के लक्षण दिखाने लगते हैं. AIDS की पहचान कुछ विशेष इंफेक्शन और लक्षणों के आधार पर होती है-
- स्टेज 1: बिना लक्षण- इसे AIDS नहीं माना जाता
- स्टेज 2: त्वचा या म्यूकस की समस्याएं, बार-बार सर्दी-खांसी जैसी इंफेक्शन
- स्टेज 3: एक महीने से ज्यादा चलने वाला दस्त, गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन, फेफड़ों का टीबी
- स्टेज 4: गंभीर स्थितियां जैसे ब्रेन का टॉक्सोप्लाजमोसिस, खाने की नली या फेफड़ों में कैंडिडा, कपोसी सारकोमा आदि
ये सभी बीमारियां सामान्य इंसानों में आसानी से ठीक हो जाती हैं, लेकिन कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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