Stock market news : RBI policy के बाद रेट सेंसेटिव स्टॉक्स में तेजी, जानिए आरबीआई के फैसलों पर क्या है एक्सपर्ट्स की राय – stock market news rating-sensitive stocks surge after rbi policy announcement find out what rating agencies think about rbis stance

RBI policy : बाजार को आरबीआई की पॉलिसी पसंद आई है। इसके चलते ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील शेयरों में अच्छा तेजी देखने को मिल रही है। रेट कट के फैसले के बाद निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज़ 0.8 फीसदी की तेजी के साथ ट्रेड कर रहा है। जबकि बैंक निफ्टी और PSU बैंक इंडेक्स में 0.5 फीसदी और 1 फीसदी की बढ़ोतरी नजर आ रही है। ब्याज दरें घटने से लोन लेना सस्ता हो जाता है, जिससे लोन की डिमांड बढ़ती है और फंडिंग कॉस्ट कम होती है, जिससे बैंकों और नॉन-बैंक लेंडर्स को मदद मिलती है। सस्ते लोन से गाड़ियों और घरों को खरीदना आसान हो जाता है और ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर में डिमांड बढ़ती है। इसके चलते रेट-सेंसिटिव ऑटो इंडेक्स 0.5 फीसदी बढ़ा है। जबकि रियल्टी इंडेक्स में 1.2 फीसदी की बढ़त हुई।

ऑटो और रियल एस्टेट जैसे रेट सेंसिटिव सेक्टर को रेट कट से होगा फायदा

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वी के विजयकुमार का कहना है कि MPC ने इकॉनमी में लगातार बनी मज़बूत ग्रोथ के बावजूद ग्रोथ के पक्ष में वोट करने का फैसला किया। रेट्स में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का यह एक जैसा फैसला MPC में इस आम राय का संकेत है कि गिरते रुपये के माहौल में भी ग्रोथ को और बढ़ावा देना एक ऐसा जोखिम है जिसे उठाया जा सकता है।

FY 26 के लिए 7.3% GDP ग्रोथ का अनुमान मार्केट के लिए पॉजिटिव है। बैंक कुल मिलाकर पॉलिसी फैसले को पसंद करेंगे, लेकिन रेट कट पर उनसे बहुत पॉजिटिव रिस्पॉन्स की संभावना नहीं है क्योंकि उनके NIMs पर दबाव पड़ेगा और अगर डिपॉजिट रेट कम किए जाते हैं तो उन्हें डिपॉजिट जुटाने में मुश्किल होगी। हालांकि, ऑटो और रियल एस्टेट जैसे रेट सेंसिटिव सेक्टर को रेट कट से फायदा होगा।

हाई रियल GDP प्रिंट के बावजूद इकॉनमी में ओवरहीटिंग के कोई संकेत नहीं

एलेरा कैपिटल में रिसर्च की डिप्टी हेड और इकोनॉमिस्ट गरिमा कपूर ने RBI मॉनेटरी पॉलिसी पर कहा कि उम्मीद के मुताबिक ही सेंट्रल बैंक के अपने मैंडेट पर कायम रहते हुए एक राय से पॉलिसी रेपो रेट में 25 bps की कटौती की। हमारा मानना ​​है कि इस साइकिल में एक और 25 bps की कटौती की गुंजाइश है। आगे इन्फ्लेशन के कम रहने की उम्मीद है और हाई रियल GDP प्रिंट के बावजूद इकॉनमी में ओवरहीटिंग के कोई संकेत नहीं हैं। सोना, चांदी, खाने-पीने की चीजों और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को छोड़कर महंगाई का अब तक का सबसे कम स्तर (कोविड पीरियड को छोड़कर) भी इसी बात की पुष्टि करता है।

फाइनेंशियल हालात धीरे-धीरे और ज़्यादा बेहतर होंगे

राइट होराइजन्स PMS के फाउंडर और फंड मैनेजर अनिल रेगो ने कहा कि रेपो रेट को 5.25% तक कम करके और न्यूट्रल रुख बनाए रखते हुए, RBI ने मॉनेटरी पॉलिसी को बदलते डिसइन्फ्लेशन ट्रेंड के साथ अलाइन किया है, साथ ही लिक्विडिटी सपोर्ट के ज़रिए रुपये पर पड़ने वाले दबाव को बैलेंस करने की ज़रूरत को भी स्वीकार किया है। OMO ​​परचेज़ गाइडेंस और संभावित FX स्वैप ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच फाइनेंशियल स्थिति को मजबूत करने के RBI के इरादे को और भी साफ करते हैं।

मार्केट के लिए, यह पॉलिसी लिक्विडिटी संकट से जुड़े बड़े रिस्क को कम करते हुए फिक्स्ड इनकम में ड्यूरेशन स्ट्रेटेजी के लिए एक अच्छा माहौल बनाता है। कुल मिलाकर, सेंट्रल बैंक ने ग्रोथ को बढ़ावा देने और मैक्रो प्रूडेंशियल निगरानी के बीच सही बैलेंस बनाया है। अगर महंगाई कंट्रोल में रहती है और विदेशी निवेश में स्थिरता आती है,तो यह फैसला मौजूदा घरेलू ग्रोथ साइकिल को वित्त वर्ष 2027 तक बढ़ाने में मदद कर सकता है,जिससे फाइनेंशियल हालात धीरे-धीरे और ज़्यादा बेहतर होंगे।

आरबीआई के फैसले से शहरी और ग्रामीण कंजम्पशन को मिलेगा और सपोर्ट

ग्रीन पोर्ट के को-फाउंडर और फंड मैनेजर दिवम शर्मा ने कहा कि साल की पहले छमाही में महंगाई के 2.2 फीसदी के अच्छे लेवल पर और ग्रोथ 8 फीसदी तक पहुंचने से सरकार ने पहले ही पूरे साल के लिए अपना GDP अनुमान बढ़ाकर 7.3 फीसदी कर दिया था। ऐसे में, RBI का अचानक 25 बेसिस प्वाइंट रेट कट करके 5.25 फीसदी करना और साथ ही न्यूट्रल रुख अपनाना,एक बोल्ड कदम है। इससे शहरी और ग्रामीण कंजम्पशन को और भी सपोर्ट मिलेगा,जो पहले से ही बेहतरी के रास्ते पर है। इसस कैपेक्स और क्रेडिट ग्रोथ को भी सपोर्ट मिल सकता है। हालांकि, इस स्टेज पर ज़्यादा डिमांड से महंगाई के बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।

RBI का यह फैसला ऐसे समय आया है जब रुपया अब तक के सबसे निचले लेवल के करीब है और RBI द्वारा लिक्विडिटी और करेंसी के दबाव को स्थिर करने के लिए FX स्वैप और OMOs का इस्तेमाल करने की संभावना ज़्यादा है। हालांकि, शॉर्ट-टर्म में इसका असर पॉजिटिव रहेगा, लेकिन इन्वेस्टर्स को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ज़्यादा लिक्विडिटी, कमज़ोर करेंसी और ज़्यादा डिमांड,अगर ठीक से मैनेज न किया जाएं तो ये इकॉनमी को तेज़ी से ओवरहीटिंग की ओर ले जा सकते हैं।

RBI की रेट कट से इन्वेस्टर्स का रुझान फिर से साइक्लिकल स्टॉक्स की ओर बढ़ने की उम्मीद

INVasset PMS के पार्टनर और फंड मैनेजर, अनिरुद्ध गर्ग का कहना है कि स्टॉक मार्केट के लिए, RBI द्वारा 25 bps की रेट कट पॉजिटिव है। कम पॉलिसी रेट्स और बेहतर बैंकिंग लिक्विडिटी से क्रेडिट ग्रोथ को सपोर्ट मिलता है, जिससे इन्वेस्टर्स का रुझान फिर से साइक्लिकल और क्रेडिट-सेंसिटिव सेक्टर्स की ओर जा सकता है। खासकर, बैंक और नॉन-बैंक फाइनेंशियल कंपनियों में नए सिरे से तेजी आ सकती है। रेट कट से समय के साथ नेट इंटरेस्ट मार्जिन बढ़ सकता है और स्वैप फैसिलिटी से कंपनियों और एक्सपोर्टर्स के लिए फॉरेन एक्सचेंज की अनिश्चितताएं कम होती हैं।

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ब्याज दर में कटौती से बैंकों के NIMs पर पड़ेगा दबाव

मिरे एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट विजय गौर का कहना है कि RBI ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 bps की कमी की है, जबकि अपना न्यूट्रल रुख बनाए रखा है। इसके साथ ही FY26 के लिए अपडेटेड अनुमान भी जारी किए गए हैं। FY26 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया गया है और FY26 के लिए CPI इन्फ्लेशन का अनुमान 2.6% से घटाकर 2% कर दिया गया है। इसके अलावा, RBI ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए दिसंबर में 1 लाख करोड़ रुपये के ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) खरीद की भी घोषणा की है। इससे NBFCs, SFBs, MFIs, ऑटो, रियल एस्टेट और गोल्ड फाइनेंसर्स जैसे क्रेडिट-सेंसिटिव सेक्टर्स को फायदा होगा। हालांकि, इससे शॉर्ट टर्म में बैंकों NIMs (नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव पड़ेगा)।

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