क्या दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंचा AQI? सरकार ने संसद में दिया चौंकाने वाला जवाब 


दिल्ली में प्रदूषण को लेकर संसद से लेकर सड़क तक हंगामा हो रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञों से लेकर डॉक्टर लगातार दिल्ली की जहरीली हवा से होने वाले खतरों की जानकारी दे रहे हैं. संसद में कांग्रेस समेत विपक्षी दल इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े इससे अलग तस्वीर बयान कर रहे हैं.

दरअसल राज्यसभा में बीजेपी सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी द्वारा सवाल पूछा गया कि क्या यह सच है कि कई अध्ययनों द्वारा दावा किया गया है और मीडिया में रिपोर्ट किया गया है कि दिल्ली में हर सात में से एक मौत का कारण शहर की जहरीली हवा है, लेकिन सरकार आमतौर पर यह कहती है कि इसके लिए कोई निर्णायक सबूत नहीं है.

इसके अलावा पूछा कि क्या दिल्ली एनसीआर में जनता के स्वास्थ्य को हानिकारक प्रदूषण के स्तर से किस तरह से प्रभावित किया जा रहा है और कौन सी बीमारियां और स्वास्थ्य समस्याएं भविष्य में प्रचलित होंगी और सरकार इन असहाय नागरिकों को क्या उपाय/सुरक्षा प्रदान करती है?

इसका जवाब देते हुए पर्यावरण एवं वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि वायु प्रदूषण के प्रभाव पर शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों द्वारा विभिन्न अध्ययन किए गए हैं. वर्ष 2025 के दौरान, एक भी दिन एक्यूआई ने दिल्ली में गंभीर प्लस स्तर तक नहीं पहुंचा है.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए है. सरकार ने दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान के लिए आयोग फोर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन एनसीआर एंड अजॉइंग एरियाज एक्ट, 2021 के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की स्थापना की है. आयोग को वायु गुणवत्ता की रक्षा और सुधार के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विभिन्न एजेंसियों को निर्देश जारी करने और उपाय करने के लिए अधिनियम के तहत शक्तियां प्रदान की गई हैं. आयोग ने अब तक क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न कार्यों को विशेष रूप से निर्देशित और निर्देशित करने के लिए 95 कानूनी निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है.

आयोग ने ग्रीडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) तैयार किया है, जो वायु प्रदूषण के स्तर की गंभीरता के आधार पर, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पहचानी गई एजेंसियों द्वारा लागू किए जाने वाले आपातकालीन प्रतिक्रिया कार्यों का एक सेट प्रदान करता है, जो आम तौर पर दिल्ली-एनसीआर में चरम सर्दियों के महीनों के दौरान रहता है.

सरकार ने दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाने से संबंधित मुद्दों सहित वायु प्रदूषण को संबोधित करने के लिए की गई कार्रवाइयों की नियमित रूप से समीक्षा और निगरानी की है. इसको लेकर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री की अध्यक्षता में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मुद्दों पर नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की गई हैं, ताकि वायु प्रदूषण कम करने के उपायों और पूरे क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन को और मजबूत करने के लिए रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जा सके.

7 अक्टूबर, 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री और कृषि और किसान कल्याण मंत्री की सह-अध्यक्षता में फसल अवशेष जलाने के प्रबंधन के मुद्दों पर मंत्री स्तरीय अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई.

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि समन्वित प्रयासों से, दिल्ली में अच्छे दिनों (एक्यूआई<200) की संख्या 2016 में 110 दिनों से बढ़कर 2025 में 200 दिन हो गई है. जबकि इस वर्ष एक्यूआई में समग्र सुधार हुआ है, बहुत खराब दिनों (एक्यूआई: 301-400) और गंभीर दिनों (एक्यूआई 401 से अधिक) में 2024 में 71 दिनों से 2025 में 50 दिनों तक कमी आई है. दिल्ली ने पिछले 8 वर्षों में सबसे कम औसत एक्यूआई है.

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