पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को पाकिस्तान का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) अपॉइंट करने की मंजूरी दे दी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से देश के सेनाध्यक्ष (COAS) फील्ड मार्शल असीम मुनीर को पाकिस्तान के रक्षा बलों का कमांडर (CDF) नियुक्त करने का गुरुवार (4 दिसंबर 2025) को औपचारिक रूप से अनुरोध किया था.
राष्ट्रपति जरदारी ने CDF अपॉइंट करने की मंजूरी दी
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पीएम शहबाज शरीफ की भेजी समरी के बाद मुनीर को सीडीएफ के तौर पर अपॉइंट करने की मंजूरी दे दी. पिछले महीने, संसद ने 27वें संविधान संशोधन को पारित किया, जिसमें सीडीएफ के पद को सृजित करने का प्रावधान किया गया.
चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) का पद समाप्त कर यहां सीडीएफ का पद शुरू किया गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने फील्ड मार्शल मुनीर को सेना प्रमुख और सीडीएफ के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी और फिर इसे राष्ट्रपति भवन को भेज दिया.
तानाशाह बना आसिम मुनीर
पाकिस्तान राष्ट्रपति ऑफिस से जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का ऑफिस भी संभालेंगे. राष्ट्रपति जरदारी ने पीएम शहबाज शरीफ की भेजी समरी के बाद मुनीर को CDF के तौर पर अपॉइंट करने की मंजूरी दे दी. नए रोल में मुनीर का कार्यकाल पांच साल का होगा. इससे मुनीर पहले मिलिट्री ऑफिसर बन गए हैं जो एक ही समय में COAS और CDF दोनों पद संभालेंगे.
पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन के तहत मुनीर को पावरफुल बनाने पर पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई थी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख वोल्कर टर्क पाकिस्तान में जल्दबाजी में किए गए ये संशोधन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं. उनके अनुसार, इस कदम से सेना का दखल बढ़ने और नागरिक सरकार की भूमिका कमजोर होने की आशंका मजबूत होती है, जो कानून के शासन पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
पाकिस्तान की जनता पर सेना का जुल्म
पाकिस्तान के हुक्मरान सेना को तो ताकतवर बनाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन स्थानीय बलों या अर्धसैनिक बलों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. आर्मी चीफ असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा बेहद खराब है. पाकिस्तान के रसूखदार पदों, खासकर सेना पर पंजाब प्रांत का दबदबा है, जबकि छोटे प्रांतों को हाशिए पर धकेल दिया गया है.
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