दुनिया की अर्थव्यवस्था 2025 में पहले से भी कठिन दौर से गुजर रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर सरकारों का कर्ज लगातार बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में यह खतरा और गहरा सकता है. आईएमएफ के अनुसार 2030 तक दुनिया का कुल सार्वजनिक ऋण वैश्विक GDP के लगभग बराबर हो सकता है, जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चिंता का संकेत है.
इस रिपोर्ट में आईएमएफ ने उन देशों की सूची भी जारी की है, जिन पर अपनी आर्थिक क्षमता की तुलना में सबसे ज्यादा कर्ज है. यह सूची GDP के अनुपात पर आधारित है, जिससे पता चलता है कि किस देश पर कर्ज का बोझ उसकी अर्थव्यवस्था के मुकाबले कितना भारी है.
जापान दुनिया का सबसे कर्जदार देश
IMF की रिपोर्ट में जापान फिर से पहले स्थान पर है. उसकी अर्थव्यवस्था विकसित जरूर है, लेकिन कर्ज का भार इतनी तेजी से बढ़ा है कि यह अब उसकी GDP के ढाई गुना के करीब पहुंच चुका है. जापान की उम्रदराज़ आबादी, स्वास्थ्य सुविधाओं पर बढ़ता खर्च और धीमी आर्थिक गति इस हालात के पीछे प्रमुख कारण माने जाते हैं. जापान का कुल कर्ज 1,080.1 बिलियन डॉलर है.
सूडान संघर्षों ने अर्थव्यवस्था को तोड़ा
दूसरे स्थान पर सूडान है, जहां लगातार संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और टूटी हुई व्यवस्था ने वित्तीय संकट को और बढ़ाया है. युद्ध और आर्थिक अव्यवस्था के कारण सरकार पर कर्ज का भार तेजी से बढ़ा और वह दुनिया के सबसे कर्जदार देशों में शामिल हो गया. सूडान के ऊपर 221.5 प्रतिशत कर्ज है.
सिंगापुर समृद्ध देश, लेकिन भारी उधारी
तीसरे स्थान पर मौजूद सिंगापुर आर्थिक रूप से मजबूत है, लेकिन यहां कर्ज का बड़ा हिस्सा निवेश से जुड़ा होता है. सरकार अपने दीर्घकालिक प्रोजेक्ट्स और बॉन्ड के माध्यम से फंड जुटाती है, इसी वजह से उसकी GDP के मुकाबले कर्ज की दर बहुत ऊंची दिखाई देती है, जो जीडीपी का 175.6 प्रतिशत है.
ग्रीस झेल रहा अभी भी पुरानी मंदी की मार
यूरोप में ग्रीस का वित्तीय संकट अब भी खत्म नहीं हुआ है. 2010 की मंदी के बाद से ग्रीस लगातार आर्थिक सुधार की कोशिश कर रहा है, लेकिन खर्च और विकास दोनों के बीच संतुलन नहीं बैठ पाने से यह आज भी कर्ज की ऊंंची श्रेणी में शामिल है. ग्रीस के ऊपर 147.7 प्रतिशत कर्ज है.
बहरीन तेल पर निर्भरता और घटती आय
मध्य-पूर्व का यह छोटा देश राजस्व के लिए तेल पर निर्भर रहा है. जैसे-जैसे तेल की वैश्विक कीमतें गिरीं, बहरीन की वित्तीय सेहत कमजोर हुई और कर्ज तेजी से बढ़ने लगा. यही वजह है कि वह वैश्विक कर्जदार देशों की सूची में ऊपर पहुंंच गया. बहरीन के ऊपर कुल जीडीपा का 142.5 प्रतिशत कर्ज है.
इटली धीमी अर्थव्यवस्था और बढ़ता बोझ
यूरोप की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल इटली सालों से विकास की धीमी रफ्तार का सामना कर रहा है. रोजगार, उद्योग और निवेश के मोर्चे पर चुनौतियों का असर उसकी वित्तीय स्थिति पर दिखाई देता है और कर्ज उसकी GDP के बड़े हिस्से को खा रहा है, जो 136.8 प्रतिशत है.
मालदीव पर्यटन संकट ने बिगाड़ी स्थिति
समुद्री सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है और इसी क्षेत्र में गिरावट आने ने देश को कर्ज की ओर धकेल दिया. विकास परियोजनाओं के लिए भी उसे लगातार बाहरी कर्ज लेना पड़ा. मालदीव के ऊपर GDP का 131.8 प्रतिशत कर्ज है.
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, लेकिन कर्ज से परेशान
संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था विशाल है, लेकिन सरकारी खर्च और राजनीतिक मतभेदों के कारण कर्ज तेजी से बढ़ा है. अमेरिका का कर्ज उसकी GDP के एक बड़े हिस्से के बराबर हो चुका है और यह विश्व अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय माना जा रहा है. अमेरिकी सरकार के ऊपर कुल GDP का 125 फीसदी कर्ज है.
सेनेगल विकास योजनाओं की भारी कीमत
अफ्रीका का सेनेगल देश तेजी से विकास करना चाहता है, लेकिन बड़े प्रोजेक्ट्स और बाहरी उधारी ने उसकी आर्थिक सेहत को कमजोर कर दिया. इसी कारण सेनेगल भी भारी कर्ज वाले देशों में गिना जाने लगा है. मौजूदा वक्त में सेनेगल पर कुल GDP का 122.9 प्रतिशत कर्ज है.
फ्रांस ऊंचा सार्वजनिक खर्च और कम विकास
यूरोपीय संघ के बड़े देशों में फ्रांस की स्थिति भी बहुत मजबूत नहीं है. स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और अन्य योजनाओं पर भारी खर्च के कारण इसकी वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ा है, वहीं विकास दर धीमी रहने से कर्ज में लगातार इजाफा होता रहा. IMF के हिसाब से फ्रांस के ऊपर कुल GDP का 116 फीसदी कर्ज है.
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