
US Dollar Vs Rupee : करेंसी एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) आज (3 दिसंबर) को अपनी मीटिंग शुरू कर चुकी है। ऐसे में US डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में तेज़ गिरावट चिंता का विषय बनी रह सकती है। एक्सपर्ट्स को इस बात का भी डर है कि सेंट्रल बैंक सीमित दखल के साथ करेंसी को गिरने दे सकता है।
3 दिसंबर को रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर खुला और लगातार इक्विटी आउटफ्लो और भारत-US ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता के कारण US डॉलर के मुकाबले 90 का आंकड़ा पार कर गया।
एक्सपर्ट्स की राय
इंडिया फॉरेक्स एसेट मैनेजमेंट-IFA ग्लोबल के फाउंडर और CEO अभिषेक गोयनका ने कहा कि ऐसा लगता है कि RBI दखल देने के लिए ज़्यादा नरम अप्रोच अपना रहा है, क्योंकि उसके पास पहले से ही NDF (नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड) समेत फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स की काफी कमी है। इसलिए वह अपनी दखल देने की शक्ति का समझदारी से इस्तेमाल करना चाहेगा।
LKP सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी के VP रिसर्च एनालिस्ट, जतीन त्रिवेदी ने कहा कि RBI के हल्के दखल की वजह से तेज़ी से डेप्रिसिएशन हुआ है। मार्केट को उम्मीद है कि 5 दिसंबर को RBI की पॉलिसी अनाउंसमेंट के साथ यह साफ़ हो जाएगा कि सेंट्रल बैंक करेंसी को स्टेबल करने के लिए कदम उठाएगा या नहीं।
कुछ डीलर्स का कहना है कि रुपए को RBI की तरफ से सपोर्ट कम है। यह किसी लेवल को नहीं बचा रहा है। RBI ने इसमें व्यापार घाटे से निपटने का तरीका खोज लिया है। कमजोर करेंसी के सहारे एक्सपोर्ट्स को राहत मिलेगी। वहीं, इंपोर्ट महंगे होंगे।
बता दें कि आरबीआई एमपीसी की बैठक आज से 5 दिसंबर तक होगी। शुक्रवार, 5 दिसंबर को आरबीआई अपने फैसलों का एलान करेगा।
रुपए से जुड़ी चिंता
करेंसी एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेंट्रल बैंक मॉनेटरी पॉलिसी में करेंसी के डेप्रिसिएशन को स्वीकार करेगा, लेकिन करेंसी के किसी भी लेवल पर सिग्नल देने से बच सकता है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि सेंट्रल बैंक रुपये के “किसी खास लेवल को टारगेट नहीं करता” और इसके बजाय अस्वाभाविक उतार-चढ़ाव को रोकने को प्राथमिकता देता है।
संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा था कि रुपये की हालिया कमजोरी मार्केट स्वाभाविक चाल का नतीजा है। लगभग 3-3.5 फीसदी की सालाना गिरावट लॉन्ग-टर्म ट्रेंड्स के हिसाब से ही है। यह रुख MPC को ग्रोथ को सपोर्ट करने के रेट कट की गुंजाइश देता है।
रुपए अब तक कितनी हुई गिरावट?
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि 31 दिसंबर, 2024 और 3 दिसंबर, 2025 के बीच भारतीय रुपये में 5.08 फीसदी की गिरावट आई है। यह इंडोनेशियाई रुपिया के बाद एशियाई करेंसी में सबसे खराब परफॉर्म करने वाली करेंसी बन गई है। इंडोनेशियाई रुपिया में इसी दौरान 3.17 फीसदी की गिरावट आई है। फिलीपींस का पेसो 1.54 फीसदी और हांगकांग डॉलर 0.18 कमजोर हुआ है।
इमर्जिंग मार्केट्स (EMs) में,भारतीय रुपया तीसरी सबसे खराब परफॉर्म करने वाली करेंसी है। अर्जेंटीना के पेसो और तुर्की के लीरा में 29.18 फीसदी और 16.69 फीसदी की गिरावट आई है।
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