भारत दौरे से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार (2 दिसंबर 2025) अपना एजेंडा को साफ कर दिया है. पुतिन की 4-5 दिसंबर को नयी दिल्ली की राजकीय यात्रा से पहले भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मंजूरी दे दी गई है. रूस सबमरीन परमाणु संयत्र से चलने वाली एसएसएन (चक्र क्लास) सबमरीन भारत को लीज पर देगा. रूसी राष्ट्रपति 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे.
पीएम मोदी से मिलकर इन मद्दों पर होगी चर्चा
रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी के कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने बताया कि वह पीएम मोदी से मिलकर व्यापार और आयात को लेकर विस्तृत चर्चा करेंगे. इस दौरान उन्होंने इशारों-इशारों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि रूस अपने देश के हित को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र आर्थिक नीति पर काम करता रहेगा. इस दौरान उन्होंने भारत और चीन के साथ रूस के बढ़ते व्यापार संबंधों का भी जिक्र किया.
यूरोपीय देशों को पुतिन की सख्त चेतावनी
व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में यूरोपीय देशों को सख्त चेतावनी भी है. उन्होंने कहा, “कुछ देश अपने एकाधिकार का इस्तेमाल कर दूसरों पर दवाब डाल रहे हैं, जिससे दुनिया भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. अगर यूरोप युद्ध लड़ना चाहता है तो हम अब तैयार हैं. यूरोपीय देश युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं उनकी शांति की अब कोई योजना नहीं है.” पुतिन ने कहा कि यूरोपीय देशो ने यूक्रेन पर शांति वार्ता से खुद को बाहर कर लिया है, क्योंकि उन्होंने रूस के साथ संपर्क तोड़ दिया है. उन्हो्ंने कहा कि यूरोपीय देश युद्ध के पक्ष में हैं.
‘यूक्रेन की समुद्र तक पहुंच समाप्त कर दी जाएगी’
रूस के दो ऑयल शिप पर शनिवार (29 नवंबर 2025) को ब्लैक सी में पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन (सी बेबी) ने अटैक किया गया. यूक्रेन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. दोनों शिप रूस की शैडो फ्लीट का हिस्सा माने जाते हैं. इसे लेकर भी पुतिन ने यूक्रेन को चेतावनी दी है कि उसकी समुद्र तक की पहुंच को खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, “यूक्रेन को समुद्र से अलग कर दिया जाए फिर समुद्री डकैती असंभव हो जाएगी.” पुतिन ने कहा कि रूस यूक्रेनी जहाजों पर हमले तेज करेगा और यूक्रेन की मदद करने वाले देशों के टैंकरों के खिलाफ कदम उठाएगा.
व्यापार और ऊर्जा संबंधों पर बनेगा नया प्लान
रूस ने भारत के साथ अपने व्यापार और ऊर्जा संबंधों को तीसरे देशों के दबाव से सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष ढांचा बनाने का सुझाव देते हुए मंगलवार को कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों से भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात सीमित अवधि के लिए घट सकता है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच होने वाली शिखर वार्ता में भारी व्यापार घाटे पर भारत की चिंता, छोटे आकार वाले परमाणु रिएक्टरों में सहयोग और रक्षा क्षेत्र एवं ऊर्जा साझेदारी के मुद्दे मुख्य रूप से शामिल होंगे.
डिफेंस सेक्टर में बड़ी डील के आसार
भारत का रूस से आयात लगभग 65 अरब डॉलर है, जबकि रूस का भारत से आयात करीब पांच अरब डॉलर ही है. रक्षा सहयोग के क्षेत्र में पेसकोव ने ब्रह्मोस मिसाइलों के संयुक्त उत्पादन को मिसाल की तरह पेश करते हुए कहा कि यह एडवांस टेक्नोलॉजी साझा करने का मॉडल है. पेसकोव ने कहा, “रूस जटिल रक्षा प्रणालियों और तकनीकी अनुभव को भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार है.” उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सुखोई-57 लड़ाकू विमानों की संभावित आपूर्ति और हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली एस-400 की अतिरिक्त खेप पर भी चर्चा हो सकती है.
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