गुजरात के बड़ौदा में देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बाबरी मस्जिद और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाना चाहते थे, वो भी जनता के रुपयों से, लेकिन तब के तात्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने उनकी इस योजना को सफल नहीं होने दिया.
रक्षामंत्री गुजरात के सडली गांव में आयोजित एक यूनिटी मार्च में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने पटेल और उनकी भूमिका पर चर्चा की, साथ ही नेहरू और बाबरी मस्जिद पर चौंकाने वाला राजनीतिक दावा किया है.
‘नेहरू के प्रस्ताव को पटेल ने मना कर दिया था’
राजनाथ सिंह ने कहा, नेहरू ने पब्लिक फंड से बाबरी मस्जिद बनाने का सुझाव दिया था. इसे पटेल ने साफ मना कर दिया था. नेहरू ने पटेल के निधन के बाद जो धन जुटाया था, उसे कुएं और रोड बनाने पर खर्च करने का सुझाव दिया था. उनकी विरासत को दबाने की कोशिश की गई थी. पटेल सच्चे अर्थों में उदार और निष्पक्ष नेता थे. उन्होंने कभी तुष्टीकरण की राजनीति नहीं की.
उन्होंने कहा कि 1946 में अध्यक्ष चुनाव में नेहरू के पक्ष में अधिकतर वोट गिरे, लेकिन गांधी जी के कहने पर पटेल ने अपना नाम वापस ले लिया, और नेहरू अध्यक्ष बने. इसके बाद वह प्रधानमंत्री बने.
उस समय की कांग्रेस सरकार ने हर कीमत पर सरदार पटेल की महान विरासत को दबाने की कोशिश की। नेहरू जी ने स्वयं को ‘भारत रत्न’ प्रदान किया, लेकिन सरदार पटेल के लिए कोई स्मारक नहीं बनाया।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi ने Statue of Unity का निर्माण कराकर सरदार पटेल को वह सम्मान दिया,… pic.twitter.com/6MaZUqlw4W
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 2, 2025
उन्होंने कहा कि हमेशा पटेल की विरासत को दबाया गया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनवाकर पटेल को सम्मान दिलाया, जिसके वो हकदार थे. नेहरू ने खुद को भारत रत्न दिया, लेकिन पटेल को उस समय कोई सम्मान नहीं दिया गया. उनकी विरासत को नजरंदाज करने के लिए , ये कुछ उदाहरण हैं.
‘मोदी ने कश्मीर को सही मायनों में भारत से जोड़ा’
उन्होंने कहा कि अगर पटेल की बातों को मान लिया जाता तो कश्मीर समस्या लंबे समय तक देश के लिए बोझ नहीं बनती. पटेल ने जरूरत के समय कड़े कदम उठाए, जिस वजह से हैदराबाद का विलय किया गया. इसके अलावा उन्होंने कहा कि 370 हटाना आसान नहीं था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने यह कदम उठाकर सही मायनों में भारत से जोड़ा.
रक्षामंत्री ने कहा, सोमनाथ मंदिर को पुननिर्माण के लिए सरकार से एक भी पैसा नहीं लिया था. पूरा धन जनता से जुटाया गया था. अयोध्या का राम मंदिर भी जनता के सहयोग से बना है. यह वास्तविक धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण है. बता दें, सरदार पटेल के 150वें जन्मवर्ष पर करमसद से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक आयोजित किया गया.
Read More at www.abplive.com