
Rupee slips to all-time low:Q2 में शानदार GDP ग्रोथ के बावजूद 1 दिसंबर को भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया। रुपया US डॉलर के मुकाबले 89.76 पर आ गया, जो करीब 2 हफ़्ते पहले के अपने पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर 89.49 से भी नीचे चला गया।
3 नवंबर से अब तक 90 पैसे की कमजोरी आई। 2025 में रुपया डॉलर के मुकाबले सबसे खराब परफ़ॉर्म करने वाली करेंसी में से एक रहा है। 2025 में रुपये ने सिर्फ़ टर्किश लीरा और अर्जेंटीना पेसो से बेहतर परफ़ॉर्म किया।
जुलाई-सितंबर के लिए भारत की 8.2% साल-दर-साल GDP रीडिंग से इक्विटी मार्केट रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा। सोमवार को बॉन्ड यील्ड में भी बढ़त देखने को मिली। लेकिन करेंसी पर ज़्यादा असर नहीं पड़ा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी इन्वेस्टर्स ने शुक्रवार को लगभग $400 मिलियन की भारतीय इक्विटी बेचीं, जिससे इस साल अब तक का आउटफ़्लो $16 बिलियन से ज़्यादा हो गया, जबकि 10-साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 6.553% हो गई, जो एक हफ़्ते के सबसे ऊंचे स्तर के करीब है।
एक ट्रेडर ने रॉयटर्स को बताया कि नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड मार्केट में बड़ी पोजीशन की मैच्योरिटी ने भी सोमवार को रुपये पर दबाव डाला। शुक्रवार को मार्केट बंद होने के बाद जारी डेटा से पता चला कि अक्टूबर में RBI की फॉरवर्ड बुक बढ़कर $63 बिलियन से ज़्यादा हो गई।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने US और भारतीय अधिकारियों के कमेंट्स से उम्मीद जगी थी कि भारतीय एक्सपोर्ट पर लगे 50% के भारी टैरिफ जल्द ही कम हो जाएंगे, लेकिन कोई पक्की डील न होने से रुपये पर दबाव पड़ा है।
टैरिफ ने इक्विटी में ट्रेड और पोर्टफोलियो फ्लो को कम कर दिया है, जिससे करेंसी को सपोर्ट के लिए सेंट्रल बैंक के दखल पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
विदेशी इन्वेस्टर्स ने इस साल अब तक भारतीय इक्विटी से $16 बिलियन से ज़्यादा निकाले हैं। अक्टूबर में भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट अब तक के सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया।
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