Gita Jayanti 2025: वर्क-लाइफ करना है बैलेंस, गीता के उपदेश सिखाएंगे बेहतर संतुलन


Gita Jayanti 2025: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में वर्क-लाइफ बैलेंस करना हर व्यक्ति की सबसे बड़ी जरूरत है. काम का लगातार बढ़ता दबाव, तनाव, प्रतिस्पर्धा और डिजिटल डिस्टर्बेंस के बीच मानसिक संतुलन बनाए रखना और निजी जीवन को समय देना कई लोगों के लिए चुनौती से कम नहीं.

महाकाव्य महाभारत पर आधारित श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेश आधुनिक जीवन के लिए भी मार्गदर्शक हैं. पांच हजार वर्ष से भी पहले श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे और आज भी ये सूत्र उतने ही प्रासंगिक हैं.

इतना ही भगवद् गीता हिंदू धर्म का एकमात्र ऐसा धार्मिक ग्रंथ भी है, जिसकी जयंती मनाई जाती है. हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन गीता जयंती होती है, जोकि इस वर्ष सोमवार 1 दिसंबर 2025 को पड़ रही है. 

गीता का पहला सूत्र है ‘निष्काम कर्म’

इसका अर्थ है, कर्म पर ध्यान दें, फल की चिंता न करें. कार्यस्थल पर ज्यादातर तनाव अपेक्षाओं को लेकर ही बढ़ता है. जब व्यक्ति पूरे मन से अपना काम करे और परिणाम की चिंता छोड़ दे, तो मानसिक दबाव स्वत: कम हो जाता है. साथ ही इससे काम की गुणवत्ता भी बेहतर होती है और मन भी शांत रहता है.

दूसरा सूत्र ‘समत्व भाव’

सफलता और असफलता दोनों को समान भाव से स्वीकार करना. आज का पेशेवर जीवन सभी के लिए उतार-चढ़ाव से भरा है. हर प्रोजेक्ट सफल हो, डील में मुनाफा हो, हर प्रयास रंग लाए, यह संभव तो नहीं. इसलिए गीता सिखाती है कि परिणाम चाहे जो भी हो व्यक्ति को स्थिरचित्त रहना चाहिए.

तीसरा सूत्र ‘मन पर नियंत्रण’

डिजिटल युग में नोटिफिकेशन, फोन कॉल, चैट, वीडिय, मीटिंग और सोशल मीडिया मन को अस्थिर बनाते हैं. गीता के अनुसार, जिसने मन को जीत लिया है, उसके लिए जीवन सरल हो जाता है. इसका अर्थ है कि, काम के समय सम्पूर्ण एकाग्रता और घर के समय पूर्ण मन से परिवार को समय देना होना चाहिए. यह नियम वर्क-लाइफ को बैलेंस करने का सबसे प्रभावी सूत्र है.

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