‘जिहाद जैसी भाषा का इस्तेमाल…’, मौलाना महमूद मदनी के भड़काऊ बयान पर आया उद्धव गुट का रिएक्शन


जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के बयान पर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं जारी हैं. इसे लेकर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे बयान देश के ज्‍वलंत मुद्दों से जनता का ध्‍यान भटकाने के लिए दिलाए जाते हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्‍होंने आईएएनएस से बातचीत में इस मुद्दे को मीडिया की ओर से बनाए गए अनावश्यक विवाद के रूप में पेश किया. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें हैरानी इस बात की है कि अचानक महमूद मदनी को अत्यधिक लाइमलाइट में लाया जा रहा है. मीडिया बार-बार उनसे विवादित बयान दिलवा रहा है, जिससे साफ तौर पर एक एजेंडा झलकता है—जनता के सामने मौजूद गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाना.

वोट चोरी, SIR से बचने के लिए ऐसे मुद्दों को दी जा रही हवा: प्रियंका चतुर्वेदी

प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि देश जिन अहम चुनौतियों से जूझ रहा है, जैसे वोट चोरी के आरोप, एसआईआर से जुड़ी जटिल प्रक्रियाएं, भ्रष्टाचार और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी—इन सब पर चर्चा से बचने के लिए ऐसे मुद्दों को हवा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि इससे किस राजनीतिक दल को फायदा मिलता है, यह किसी से छिपा नहीं है. उनका कहना था कि इस तरह की विवादित बयानबाजी को राजनीतिक टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट की निष्ठा पर लगातार सवाल उठा रहे हैं, वे सरासर गलत हैं.

मदनी के ‘जिहाद’ वाले बयान पर क्या बोलीं प्रियंका चतुर्वेदी? 

प्रियंका चतुर्वेदी ने आतंकी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम और दिल्ली में हाल ही में हुए आतंकी हमलों से यह साफ होता है कि जैश-ए-मोहम्मद भारत में अशांति फैलाने का बड़ा एजेंडा लेकर चल रहा था. उन्होंने चेतावनी दी कि ‘जिहाद’ जैसी भाषा का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा युवाओं को भ्रमित करने और उन्हें भड़काने के लिए किया जा रहा है, जिससे आतंकी संगठनों को बल मिल सकता है. उन्होंने गृह मंत्रालय से सवाल पूछा कि इस गंभीर मुद्दे पर उसकी क्या कार्रवाई है.

मौलाना महमूद मदनी ने क्या कहा था?

मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत-उलमा-हिंद के कार्यक्रम में कहा कि लव जिहाद, लैंड जिहाद, एजुकेशन जिहाद और थूक जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसलमानों को बहुत दुख पहुंचाया जाता है. उन्हें न कोई शर्म नहीं आती और न ही उन्हें पूरे समुदाय को चोट पहुंचाने की परवाह है. इस दौरान विवादित टिप्पणी करते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा.

मदनी ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘किसी देश में लॉ एंड ऑर्डर और क्राइम-फ्री समाज बनाना इंसाफ के बिना नामुमकिन है. दुख की बात है कि पिछले कुछ सालों में खासकर बाबरी मस्जिद और ट्रिपल तलाक जैसे मामलों में फैसलों के बाद यह आम सोच बन गई है कि कोर्ट सरकारी दबाव में काम कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट उस समय तक ही सुप्रीम कहलाने का हकदार है, जब तक आईन की पाबंदी करे और कानून के कर्तव्य का ख्याल रखे. अगर ऐसा न करे तो वह नैतिक तौर पर सुप्रीम कहलाने का हकदार नहीं है.’

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