सोनिया और राहुल गांधी की बढ़ीं मुश्किलें, दिल्ली पुलिस ने नेशनल हेराल्ड केस में दर्ज की FIR

Case filed against Sonia and Rahul Gandhi: नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले के आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने यह एफआईआर ईडी की शिकायत पर दर्ज की गई है। आरोप है कि पार्टी के पहले परिवार ने अपने फायदे के लिए अपने पद का “गलत इस्तेमाल” किया।

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​​FIR में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के अलावा छह नाम शामिल हैं। ED हेडक्वार्टर द्वारा EOW में शिकायत दर्ज करने के बाद यह रजिस्टर की गई। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, ऑफिशियल सोर्स और डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने 3 अक्टूबर को गांधी परिवार और सात दूसरे लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। पुलिस ने एफआईआर में IPC के सेक्शन 120B (क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी), 403 (बेईमानी से प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल), 406 (क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के लिए सज़ा) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाए हैं।

एफआईआर में गांधी परिवार, कांग्रेस नेता सुमन दुबे और सैम पित्रोदा, यंग इंडियन (YI) और डोटेक्स मर्चेंडाइज लिमिटेड जैसी कंपनियों, डोटेक्स प्रमोटर सुनील भंडारी, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और दूसरे अनजान लोगों के नाम हैं। इस बीच, दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की चार्जशीट पर कॉग्निज़ेंस लेने या न लेने के फैसले को फिर से टाल दिया है।

ED ने नेशनल हेराल्ड के ओरिजिनल पब्लिशर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) पर फाइनेंशियल गड़बड़ियों का आरोप लगाया है। कोर्ट अब 16 दिसंबर को अपना ऑर्डर सुनाएगी। इससे पहले, कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और दूसरे लोगों को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कॉग्निज़ेंस पर कोई भी फैसला लेने से पहले उन्हें “सुने जाने का अधिकार” है। स्पेशल जज विशाल गोगने ने ज़ोर देकर कहा कि यह अधिकार फेयर ट्रायल के लिए ज़रूरी है, जैसा कि नए क्रिमिनल लॉ (BNSS) के सेक्शन 223 में सपोर्ट किया गया है।

कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सेक्शन 223 आरोपी को कॉग्निज़ेंस लेने से पहले भी सुनवाई का एक खास मौका देता है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रोविज़न PMLA से टकराता नहीं है, बल्कि क्रिमिनल कार्रवाई में फेयरनेस और ट्रांसपेरेंसी को मज़बूत करता है। जज ने यह भी कहा कि BNSS एक प्रोग्रेसिव कानून है जिसका मकसद आरोपी के अधिकारों की रक्षा करना है।

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कोर्ट ने आगे कहा कि राउज़ एवेन्यू कोर्ट में पहले से ही ट्रायल में चल रहे प्रिडिकेट ऑफेंस में IPC सेक्शन 403, 406, 420 और 120B शामिल हैं। PMLA नियमों के अनुसार, प्रिडिकेट ऑफेंस और मनी लॉन्ड्रिंग केस की सुनवाई एक ही कोर्ट में होनी चाहिए। नेशनल हेराल्ड केस पूर्व MP सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ था, जिसमें कांग्रेस नेताओं और AJL से जुड़ी कंपनियों द्वारा फंड के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था।

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