‘अमेरिका नियम बदल रहा, चीन अपनी चाल चल रहा, भारत अब…’, विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान


विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शनिवार (29 नवंबर) को वैश्विक हालात पर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन दोनों ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के नियम अपने हिसाब से बदल दिए हैं, जिससे पूरी दुनिया अनिश्चितता और भ्रम की स्थिति में है. जयशंकर के अनुसार अमेरिका अब देशों के साथ सीधे वन-टू-वन डील कर रहा है, जबकि चीन अपने बनाए नियमों को और सख्ती से लागू कर रहा है. इस माहौल में भारत चुप बैठने के बजाय अपनी राष्ट्रीय क्षमता बढ़ाने और कमजोरियों को कम करने पर फोकस कर रहा है. उन्होंने कहा कि 2014 से पहले ऐसी सोच नहीं थी, लेकिन अब ‘मेक इन इंडिया’ भारत की प्राथमिक रणनीति बन चुकी है.

एस. जयशंकर ने क्या कहा?

एस. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका लंबे समय से वैश्विक सिस्टम का नेतृत्व कर रहा था, लेकिन अब उसने अचानक अपने एंगेजमेंट के तरीके बदल दिए हैं. वहीं चीन अपनी पुरानी रणनीति पर चलते हुए अपनी मनमर्जी से नियम लागू कर रहा है. इसका असर यह है कि अन्य देशों में असमंजस बढ़ रहा है. ग्लोबलाइजेशन दबाव में है और सप्लाई चेन को लेकर डर बढ़ गया है. कई देश अब अपने लिए सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं. अमेरिका और चीन दोनों से डील कर रहे हैं और साथ ही आपस में भी नए समझौते, खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स, कर रहे हैं.

इन बदलते हालात में भारत की रणनीति पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि देश ऐसी नीतियों पर काम कर रहा है जो उसकी शक्ति और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएं. भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और भारत अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि एक बड़े देश के पास मजबूत औद्योगिक आधार होना जरूरी है. 2014 से पहले इस दिशा में बड़ा सोच नहीं था, लेकिन अब इंडस्ट्रियल ग्रोथ भारत की प्रमुख प्राथमिकता है.

विदेश मंत्री ने चीन को लेकर कही ये बड़ी बात

उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ को भारत की बदलती तस्वीर का आधार बताया. पिछले दस वर्षों में इस अभियान ने नए विज़न और बड़े लक्ष्य तय किए हैं. जयशंकर ने उद्योग जगत से अपील की कि वे केवल छोटे लाभ पर ध्यान न दें, बल्कि भारत की घरेलू सप्लाई चेन मजबूत करने और ग्लोबल मार्केट में अपनी जगह बनाने में साझेदारी करें. उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ तभी पूरी तरह सफल होगा जब रिसर्च, डिजाइन और इनोवेशन भी भारत में ही किए जाएं.

चीन पर निर्भर वैश्विक सप्लाई चेन को लेकर जयशंकर ने कहा कि दुनिया का लगभग एक-तिहाई उत्पादन चीन में होता है. इससे सप्लाई चेन की विश्वसनीयता को खतरा बढ़ता है. जलवायु संकट, युद्ध और ऊर्जा बाज़ार में उथल-पुथल ने जोखिम और बढ़ा दिए हैं. अमेरिका अब ऊर्जा निर्यातक बन रहा है, जबकि रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर पर चीन का व्यापक नियंत्रण है. ब्लॉकचेन, आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ ने व्यापार और वित्त जगत में नई अनिश्चितताएं पैदा कर दी हैं.

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