
हिंदू धर्म और शास्त्रों में कोविदार के वृक्ष को बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस खास वृक्ष को ऋषि कश्यप ने मंदार और पारिजात से मिलाकर बनाया था. वस्तु के अनुसार इसे घर में सही दिशा में लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. ऐसा करने से घर की परेशानियां दूर होती, साथ ही भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

शास्त्रों और वस्तु के अनुसार, कोविदार के वृक्ष को पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है. ऐसे में पूर्व दिशा में पौधे लगाना सकारात्मकता, सुख-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. पौराणिक ग्रंथों में पूर्व दिशा सूर्यदेव की होती है.

अगर आप किसी कारण इस पौधे को पूर्व दिशा में नहीं लगा पाएं तो इसे उत्तर दिशा में भी लगा सकते हैं. इसे कुबेर देवता की दिशा माना जाता है. उत्तर दिशा में कोविदार वृक्ष को लगाने से आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है, साथ ही घर में धन्य की वृद्धि होती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में अयोध्या का राज-चिन्ह भी कोविदार वृक्ष था. हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर जो केसरिया ध्वज फहराया गया है उस पर ॐ और सूर्य के चिन्ह के साथ-साथ कोविदार वृक्ष का चित्र भी अंकित है.

कोविदार का हर-भरा पौधा घर में सौभाग्य लेकर आता है. ऐसे में इसे साफ स्थान पर लगाना चाहिए. खासतौर पर इसे घर के दीवारों से थोड़ी दूरी पर लगाना चाहिए, क्योंकि धीरे-धीरे यह वृक्ष काफी बड़ा होता है.

वस्तुशास्त्र के अनुसार कोविदार के पौधे को अपने मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे घर में वास्तुदोष लग सकता है. ये पौधा न सिर्फ पर्यावरण को सुंदर बनाता है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी लोगों के लिए खास महत्व रखता है.
Published at : 28 Nov 2025 02:45 PM (IST)
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