Pakistan Nostradamus: 2025 में दुनिया खत्म हो जाएगी? पाकिस्तान के नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी से हड़कंप! जानें NASA ने क्या कहा


दुनियाभर में चर्चित रहस्यवादी रियाज अहमद गौहर शाही की एक पुरानी भविष्यवाणी इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है. दावा किया जा रहा है कि उन्होंने लगभग 20–25 साल पहले चेतावनी दी थी कि 2025 में एक विशाल धूमकेतु धरती से टकराएगा और इससे दुनिया का अंत हो जाएगा. यह चर्चा तब और बढ़ गई जब ब्रिटिश मीडिया में सामने आया कि उन्होंने अपनी किताब The Religion of God में इसी तरह का संकेत दिया था. इसी कारण लोग 2025 को कयामत का साल कहकर चर्चा कर रहे हैं.

शाही को मानने वाले लोगों का कहना है कि कोई बड़ा खगोलीय पिंड धरती के बेहद करीब आने वाला है. वे दावा करते हैं कि ऐसा होने पर महासागर उफान पर होंगे, धरती पर बड़े भूकंप आएंगे और इंसानी सभ्यता अस्त-व्यस्त हो जाएगी. हालांकि इन दावों को वैज्ञानिक नजरिए से देखने पर तस्वीर बिल्कुल अलग नजर आती है, क्योंकि अब तक कोई भी प्रमाण ऐसा नहीं मिला है जो इस प्रलय की पुष्टि करे.

NASA की स्पष्ट प्रतिक्रिया

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने हालिया रिपोर्टों में साफ कर दिया है कि ऐसी कोई चीज धरती की ओर नहीं बढ़ रही जो टकराव का खतरा पैदा करे. बाकी वेधशालाओं ने भी यही कहा कि आने वाले समय में किसी धूमकेतु या एस्टेरॉयड का पृथ्वी से टकराने का कोई अंदेशा नहीं है. पृथ्वी के पास से गुजरने वाली वस्तुओं पर लगातार नजर रखी जा रही है, लेकिन 2025 के लिए खतरे का कोई संकेत नहीं मिला. वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि सूर्य की रोशनी में छिपे कुछ एस्टेरॉयड कभी-कभी रातोंरात सामने दिख सकते हैं, लेकिन ऐसा कोई पिंड फिलहाल मौजूद नहीं है, जिसे धरती के लिए खतरा माना जाए.

रियाज गौहर शाही कौन थे

पाकिस्तान के रियाज अहमद गौहर शाही को उनके अनुयायी एक रहस्यवादी और भविष्यवेत्ता मानते हैं. वे 2001 में अचानक लंदन से गायब हो गए, जिसके बाद उनके अनुयायियों ने दावा किया कि वे अभी भी जीवित हैं लेकिन “दुनिया से दूर एक खास अवस्था” में हैं. उनकी भविष्यवाणियां समय-समय पर सोशल मीडिया पर फैलती रहती हैं और कई लोग उन्हें नास्त्रेदमस से भी जोड़कर देखते हैं.

क्या 2025 में वाकई प्रलय आने वाली है?

वैज्ञानिकों के अनुसार 2025 में धूमकेतु टकराव का दावा पूरी तरह धार्मिक व्याख्या और मान्यताओं पर आधारित है, न कि वैज्ञानिक शोध पर. धरती का वातावरण, खगोल विज्ञान की निगरानी व्यवस्था और आधुनिक तकनीक लगातार ग्रहों-उपग्रहों पर नजर रख रही है. इस कारण आने वाले वर्षों में किसी भी बड़े खतरे का अनुमान पहले ही लग जाता है.

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