अमेरिकी अर्थशास्त्री ने H-1B वीजा में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का लगाया आरोप, कहा- चीन से ज्यादा भारत को मिला वीजा


अमेरिकी अर्थशास्त्री डॉ. डेव ब्रैट ने एच-1बी वीजा सिस्टम में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. उन्होंने एक पॉडकास्ट में दावा किया कि भारत के एक जिले ने अमेरिका में कानूनी रूप से स्वीकृत कुल वीजा संख्या के दोगुने से भी ज़्यादा वीजा हासिल किए हैं. ब्रैट की इस टिप्पणी से अमेरिका में बवाल मच गया है. 

स्टीव बैनन के वॉर रूम पॉडकास्ट में बोलते हुए ब्रैट ने कहा कि एच-1बी सिस्टम पर औद्योगिक पैमाने पर धोखाधड़ी कर कब्जा कर लिया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत से वीजा आवंटन उस स्तर तक पहुंच गया है जो वैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करता है.

चीन से ज्यादा एच-1बी वीजा भारतीयों को मिला
ब्रैट ने कहा, “71 प्रतिशत एच-1बी वीजा भारत से आते हैं और केवल 12 प्रतिशत चीन से. इससे साफ पता चलता है कि वहां कुछ गड़बड़ है.” उन्होंने आगे कहा, “केवल 85,000 एच-1बी वीजा की लिमिट है, फिर भी भारत के एक जिले चेन्नई को 2,20,000 वीजा मिल गए. यह कांग्रेस द्वारा निर्धारित सीमा से 2.5 गुना ज़्यादा है. इसका मतलब साफ है कि ये एक घोटाला है.”

‘वे आपका घर छीन रहे हैं’
ब्रैट ने इस मुद्दे को अमेरिकी कामगारों के लिए एक सीधी धमकी के रूप में पेश किया है. उन्होंने कहा कि जब इनमें से कोई आकर दावा करता है कि वह स्किल  है और ये स्किल नहीं है तो यही धोखाधड़ी है. वे आपके परिवार की नौकरी, आपका घर और आपका सब कुछ छीन रहे हैं.”

2024 में लगभग 220,000 एच-1बी वीजा हुए जारी 
रिपोर्टों के अनुसार, चेन्नई स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने 2024 में लगभग 220,000 एच-1बी वीजा और अतिरिक्त 140,000 एच-4 आश्रित वीजा प्रोसेस किए है. वाणिज्य दूतावास चार प्रमुख क्षेत्रों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना से आई एप्लीकेशन को संभालता है, जो इसे दुनिया के सबसे व्यस्त एच-1बी प्रोसेसिंग सेंटरों में से एक बनाता है. ये दावे भारतीय मूल की अमेरिकी विदेश सेवा अधिकारी महवश सिद्दीकी के आरोपों को नए सिरे से उजागर करते हैं. सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू में एच-1बी प्रणाली को जाली दस्तावेजों और प्रॉक्सी आवेदकों से भरा बताया था. सिद्दीकी ने लगभग 2 दशक पहले चेन्नई वाणिज्य दूतावास में काम किया था. 

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