महाराष्ट्र के नाशिक में तेंदुए का आतंक, सीसीटीवी में घूमता दिखा, स्थानीय लोगों ने सुनाई आपबीती


महाराष्ट्र के नाशिक में 14 नवंबर के दिन तेंदुए के हमले से अफरा-तफरी, बचाव अभियान के दौरान 8 लोग घायल हुए थे आज भी लोगों में तेंदुए का डर सता रहा है. पांच घंटे तक चली नाटकीय चूहे-बिल्ली की दौड़ के बाद आखिरकार तेंदुए को वन विभाग ने पकड़ लिया.

तेंदुए का पीछा करने के दौरान हुई इस घटना में कुल 8 लोग घायल हो गए, जिसमें दो वन विभाग के कर्मचारी भी घायल हो गए. बाकी घायल स्थानीय निवासी थे. घायलों का अस्पताल में इलाज किया गया और तेंदुए के हमले की खबर अभी भी जारी है. ये चोटें नाशिक के महात्मा नगर इलाके से आई हैं. कुछ घायलों की पीठ पर गहरे घाव हैं और तेंदुए के पंजों के स्पष्ट निशान हैं. कुछ के हाथों और चेहरों पर भी चोटें आई हैं.

सीसीटीवी में कैद हुआ तेंदुएं का घूमते हुए फुटेज

सीसीटीवी फुटेज में कैद हुए दृश्यों में तेंदुआ एक रिहायशी इलाके में घूमता हुआ दिखाई दे रहा है, जबकि वन विभाग मानव हताहतों को रोकने के लिए जानवर को बेहोश करने की कोशिश कर रहा है. दृश्यों में एक वन विभाग के अधिकारी को भी दिखाया गया है, जिसके चेहरे पर चोटें लगी हैं और उसे इलाके से दूर ले जाया जा रहा है.

आखिरकार, घंटों बाद, तेंदुए को बेहोश करके एक अस्थायी स्ट्रेचर पर ले जाया गया. बेहोश किए गए जानवर के चारों ओर भीड़ जमा हो गई और धक्का-मुक्की भी हुई, कई लोग अपने मोबाइल फोन से उसकी तस्वीरें लेने की कोशिश भी कर रहे थे.

वन विभाग के अधिकारी ने क्या बताया?

वन विभाग के अधिकारी शरद थोरात ने बताया कि कई गांवों में तेंदुए को पकड़ने के लिए ट्रैप लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि तेंदुआ आमतौर पर लंबे कद वाले व्यक्ति पर हमला नहीं करता. हम दो प्रकार के तेंदुओं को देखते हैं, एक जंगल में रहने वाले तेंदुए और दूसरे गन्ने के खेतों में रहने वाले तेंदुए. 

उन्होंने बताया कि इनकी ऊंचाई आमतौर पर 3 से 3.5 फीट होती है. इसलिए ये प्रायः बकरी, कुत्ता, खरगोश, छोटे बच्चे या खेत में बैठे हुए मजदूर जैसे लक्ष्य पर ही हमला करते हैं, यानी ऐसे लोग जिनकी आंखें उसकी आंखों के समांतर हों.

अब तक कई लोग हो चुके हैं तेंदुए का शिकार

वन विभाग के डेटा के मुताबिक इस साल जनवरी से लेकर अबतक नाशिक में 11 लोग तेंदुए के हमले में घायल हुए और 2 लोगों की मौत हुई है. थोरात ने बताया कि सूचना मिलते ही टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंचती है. ट्रैप में तेंदुआ मिलने पर उसे रेस्क्यू कर ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर (TTC) ले जाया जाता है, जहां पशु चिकित्सक उसकी जाँच करते हैं. 

उसे 2–3 दिन निगरानी में रखने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर उसे जंगल में ऐसे स्थान पर छोड़ दिया जाता है, जहां उसके लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो. उन्होंने लोगों से अपील की कि जहां भी तेंदुए की मौजूदगी की खबर मिले वहां भीड़ इकट्ठी न करें. इससे rescue टीम और लोगों दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है.

उनका कहना है कि तेंदुआ अक्सर रात में ही शिकार पर निकलता है. यहां रात के समय किसानों को बिजली मिलती है, इसलिए वे खेतों में मोटर चलाने जाते हैं और कई बार उनका आमना-सामना तेंदुए से हो जाता है. ऐसे में किसानों को अकेले खेत में नहीं जाना चाहिए; दो–तीन लोग साथ जाएं. बांस या डंडे में घुँघरू बांधकर चलें और उसे बजाते रहें ताकि तेंदुए को लगे कि वहां कई लोग मौजूद हैं.

वन विभाग के अधिकारियों ने किसानों को दिए सुझाव

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि गले में किल लगा पट्टा पहनने से बेहतर है कि किसान मफलर बांधें, जिससे चोट का खतरा भी कम होगा और सिर घुमाने में भी आसानी रहेगी. ठंड में सूरज देर से निकलता और जल्दी ढल जाता है, इसलिए बच्चों की स्कूल टाइमिंग में बदलाव किया गया है ताकि वे उजाले में स्कूल जाएं और अंधेरा होने से पहले घर लौट सकें.

थोरात ने कहा कि हमें तेंदुए को नहीं, बल्कि तेंदुए के व्यवहार को समझने की आवश्यकता है. लोग अक्सर कहते हैं कि तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है, जबकि यह सच्चाई नहीं है. फिर भी उनकी आबादी अनियंत्रित न बढ़े, इसके लिए सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रही है. जिसके तहत उन्हें वैक्सीन दी जाएगी ताकि उनकी संख्या नियंत्रित रहे.

किसानों की शिकायत के आधार पर महिरौनी गांव में भी ट्रैप लगाया गया है, ताकि तेंदुआ दोबारा दिखे तो उसे सुरक्षित रूप से पकड़ा जा सके. थोरात ने आगे बताया कि यहां पास में ही नंदिनी नदी है जो 20-25 किलोमीटर में फैली हुई है और पूरे नाशिक जिले से होते हुए जाती है. इस नदी के आसपास ही ये तेंदुए होते हैं क्योंकि उन्हें पीने के किए मीठा पानी मिल जाता है और शिकार भी अगर यहां शिकार नही मिलता तो आसपास के गांव में जाकर पालतू जानवरों का शिकार करते है.

स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

संदीप खंडपाले जो की किसान है जिनके खेत मे पिंजड़ा लगाया उन्होंने बताया कि हम यहां हर 4-5 दिन तेंदुआ देखते है. यहां हालत ऐसी है कि हम पालतू जानवर भी नहीं रख पाए मेरे पास कुत्ता हुआ करता था, जिसे हमने छोटे से बड़ा किया और फिर तेंदुआ उसका शिकार कर गया.

इसी इलाके के रहने वाली शारदा साबले जो कि पेशे से शिक्षक है ने बताया कि उनके हाथ मे दिख रही पट्टी दरअसल वो घाव है जो उन्हें तेंदुए ने दिया. उन्होंने बताया कि वो अपने घर पर थी और अचानक से उनके पीछे से कोई आया ऐसा उन्हें आभास हुआ और जैसे ही वो पलटी तेंदुए ने उनपर हमला कर दिया.

शारदा के पति विट्ठल साबले ने कहा कि बहुत ही भयानक मंजर था हमने यहां 10 साल से ज्यादा के समय की बात कर रहा हूं हमने कभी भी इस तरह तेंदुए को बस्ती में घूमते हुए नही देखा. 

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