घर में सुख-समृद्धि का राज़: वास्तु के शुभ चिन्ह जो बदल सकते हैं किस्मत, हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में धन की कमी न हो, परिवार में शांति बनी रहे और उन्नति के रास्ते खुलते रहें. कर्म, मेहनत और अनुशासन के साथ-साथ घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ पवित्र प्रतीक और चिन्ह ऐसे हैं, जिन्हें घर में उचित दिशा में स्थापित करने से सुख, शांति और समृद्धि स्वतः आकर्षित होती है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास बताते हैं, “यदि घर में कुछ प्रभावशाली चिन्ह और प्रतीकों को सही दिशा में रखा जाए तो घर में सुख-समृद्धि वास करती है और बरकत बढ़ती है. ये चिन्ह सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करते हैं और नकारात्मकता को रोकते हैं.”
मुख्य द्वार — सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार ही घर में आने वाली ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. नियम इस प्रकार हैं:
- उत्तर या पूर्व दिशा का मुख्य द्वार सबसे शुभ माना जाता है
- दक्षिण दिशा में द्वार अशुभ माना गया है, इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है
- द्वार और उसके आस-पास की साफ-सफाई आवश्यक है, क्योंकि मां लक्ष्मी स्वच्छता पसंद करती हैं
- मुख्य द्वार पर पंचसूलक, स्वास्तिक या नमस्ते का संकेत लगाने से शुभता और सौहार्द बढ़ता है
घर की सही दिशा और ऊर्जा — क्या रखें और क्या न रखें:
उत्तर दिशा
- धन और अवसर का केंद्र
- मनी प्लांट हरे गमले में रखना शुभ
- झाड़ू, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और डस्टबिन न रखें
ईशान कोण (उत्तर–पूर्व)
- सबसे पवित्र दिशा
- पूजा स्थल और गंगाजल रखें
- भारी सामान जमा न करें
दक्षिण–पश्चिम
- स्थिरता और धन-संचय की दिशा
- इस दिशा में मिट्टी की गुल्लक रखना अत्यंत शुभ
पश्चिम दिशा
- धन संरक्षण का संकेत
- यहां लक्ष्मी–नारायण की फोटो लगाना शुभ माना गया है
ध्यान रखें: घर या बाहर गूलर, पाकड़, बेर, पीपल, केला और अनार के पेड़ लगाने से वास्तु के अनुसार बरकत कम होती है.
घर में रखने योग्य शुभ प्रतीक और उनके लाभ:
ॐ
- लाभ: मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाता है
- रखने का स्थान: पूजा स्थल
पंचसूलक
- लाभ: नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकता है
- रखने का स्थान: मुख्य द्वार
स्वास्तिक
- लाभ: शुभता, सफलता और धन वृद्धि के संकेत देता है
- रखने का स्थान: दिशा के अनुसार सही रंग में बनाएं/लगाएं
कमल
- लाभ: ज्ञान, ऐश्वर्य और सौभाग्य का प्रतीक
- रखने का स्थान: मंदिर या ड्रॉइंग रूम
त्रिशूल
- लाभ: भय, बाधा और कष्टों से रक्षा करता है
- रखने का स्थान: प्रवेश क्षेत्र
कलश
- लाभ: सुख, समृद्धि और शुभता बढ़ाता है
- रखने का स्थान: पूजा स्थल
नमस्ते चिन्ह
- लाभ: स्वागत भाव और सद्भाव का संदेश देता है
- रखने का स्थान: मुख्य द्वार के दोनों ओर
शंख
- लाभ: पवित्रता, सौभाग्य और धन आकर्षण
- रखने का स्थान: मंदिर
दीपक
- लाभ: संपन्नता और प्रकाश ऊर्जा का प्रतीक
- रखने का समय/स्थान: पूजा करते समय जलाना
मछली प्रतीक
- लाभ: आर्थिक उन्नति, अच्छे स्वास्थ्य और सफलता के योग बनाता है
- रखने का स्थान: उत्तर–पूर्व या पूर्व दिशा
आर्थिक स्थिरता के लिए विशेष उपाय:
- लॉकर को पश्चिम दिशा में रखें
- लाल कपड़े में थोड़ी पीली सरसों बांधकर लॉकर में रखें, इससे नजर और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है
- दक्षिण–पश्चिम दिशा में मिट्टी की गुल्लक रखें और समय-समय पर बच्चे के हाथ से सिक्के डलवाएं
- पूजा स्थल के ईशान कोण में गंगाजल की शीशी रखें और समय-समय पर नया गंगाजल डालें
वास्तु शास्त्र मानना कोई बाध्यता नहीं, लेकिन वर्षों से परखे हुए सिद्धांत घर में अपनाए जाएं तो जीवन में शांति, संतुलन, स्थिरता और समृद्धि बढ़ती है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास का मानना है कि — “वास्तु का उद्देश्य सिर्फ सौन्दर्य या सजावट नहीं, बल्कि ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करके जीवन को बेहतर बनाना है.”
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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