दिल्ली ब्लास्ट केस में आतंकी जसीर बिलाल को नही मिली राहत, HC ने वकील से मुलाकात की मांग खारिज की


दिल्ली हाई कोर्ट ने लाल किले के बाहर ब्लास्ट केस के सह-आरोपी जसीर बिलाल वानी को राहत देने से इंकार कर दिया. जसीर वानी ने कोर्ट से NIA मुख्यालय में अपने वकील से मुलाकात की अनुमति मांगी थी, लेकिन अदालत ने कहा कि इस तरह का आदेश देने के लिए कोई ठोस कारण या रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने साफ कहा कि वानी की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं दिखाया गया, जिसमें एनआईए कोर्ट ने उसकी मांग को ठुकराया हो. ऐसे में हाई कोर्ट नई प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकता.

 

दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में जताई नाराजगी 

दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि यह कोई खास मामला नहीं है. अगर कोई आकर सिर्फ मौखिक रूप से कह दे कि उसकी अर्जी खारिज हुई तो हम कैसे मान लें अगर ऐसा हुआ, तो हर कोई यही कहेगा. कोर्ट ने साफ किया कि कानून में जो प्रक्रिया तय है, वही अपनाई जाएगी और किसी एक आरोपी के लिए उसे बदला नहीं जा सकता. अदालत ने मामले को फिर से ट्रायल कोर्ट के पास भेज दिया है जहां इस पर कल सुनवाई होगी.

 

एनआईए का जसीर बिलाल वानी को लेकर गभीर आरोप 

NIA ने जसीर बिलाल वानी को आतंकी उमर-उन-नबी का सक्रिय सह-साज़िशकर्ता बताया है. NIA के मुताबिक जसीर वानी कश्मीर के काज़ीगुंड, अनंतनाग का रहने वाला है. उसकी गिरफ्तारी 17 नवंबर को श्रीनगर से हुई. वही उस पर आरोप है कि वह ड्रोन को मॉडिफाई कर आतंकियों को तकनीकी मदद दे रहा था. धमाके से पहले वह रॉकेट बनाने की कोशिश भी कर रहा था. उसने आत्मघाती हमलावर उमर-उन-नबी के साथ मिलकर हमले की साजिश रची. NIA ने कहा कि वानी हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाला व्यक्ति है. 

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