Kidney Donation Eligibility: ये लोग डोनेट नहीं कर सकते किडनी, रोहिणी आचार्य ‘किडनी विवाद’ के बीच जान लीजिए नियम


Who Cannot Donate Kidney: बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद लालू यादव के परिवार में बिखराव नजर आने लगा है. साल 2022 में जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की तबीयत खराब थी और उन्हें किडनी की जरूरत थी, तो रोहिणी आगे आई थीं. उन्होंने अपने पिता को किडनी डोनेट की थी. उस दौरान उनके इस कदम की पूरे देश में सराहना हुई थी. हालांकि अब जब वे अपने भाई तेजस्वी से नाराज हैं, तो इसे लेकर कई बयान दे चुकी हैं. चलिए आपको बताते हैं कि वे लोग कौन होते हैं, जो किडनी डोनेट नहीं कर सकते.

कौन से लोग डोनेट नहीं कर सकते किडनी?

किडनी डोनेट करना किसी भी इंसान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा तोहफ़ा माना जाता है. जिन लोगों की किडनी काम करना बंद कर देती है, उनके लिए किसी जीवित व्यक्ति से मिली किडनी उन्हें बेहतर रिजल्ट और डायलिसिस की तुलना में लंबी, हेल्दी ज़िंदगी दे सकती है. National Kidney Foundation के अनुसार, हर इच्छुक व्यक्ति किडनी डोनेट नहीं कर सकता. कुछ ऐसे कारण होते हैं, जिनकी वजह से किसी व्यक्ति को डोनेशन की अनुमति नहीं मिलती. इनमें-

गंभीर मेडिकल समस्याएं

किडनी डोनेट करने में सबसे पहले आपकी सेहत को देखा जाता है. अगर कोई ऐसी बीमारी है जो ऑपरेशन के दौरान या बाद में आपको नुकसान पहुंचा सकती है, तो डोनेशन की अनुमति नहीं दी जाती. इसमें कुछ दिक्कतों को शामिल किया जाता है, जैसे-

  • अनकंट्रोल हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज
  • एक्टिव कैंसर या हाल में कैंसर का इतिहास
  • हार्ट या लंग्स की कोई गंभीर बीमारी, जिससे सर्जरी जोखिम भरी हो जाए

वजन और BMI से जुड़ी शर्तें

ट्रांसप्लांट सेंटर्स BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर भी तय करते हैं कि कोई व्यक्ति डोनेट कर सकता है या नहीं. कुछ सेंटर्स के नियम सख्त होते हैं, जबकि कुछ आपकी लाइफस्टाइल और फैट कहां जमा है जैसी बातों को भी देखते हैं.

BMI कैटेगरी
18.5 से कम- अंडरवेट
18.5–24.9- नार्मल
25–29.9- ओवरवेट
30 से ऊपर- मोटापा

बहुत कम या बहुत ज्यादा BMI सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग, इंफेक्शन या घाव की दिक्कतों का खतरा बढ़ा सकता है. ज्यादा वजन लंबे समय में डायबिटीज और हाई बीपी जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता है.

मेंटल हेल्थ संबंधित दिक्कत

किडनी डोनेट करना सिर्फ मेडिकल फैसला नहीं, एक इमोशनल निर्णय भी है. इसलिए इसमें सोशल वर्कर या साइकोलॉजिस्ट से भी मुलाकात कराई जाती है. वे यह सुनिश्चित करते हैं कि आप भावनात्मक रूप से भी तैयार हैं.

वे खासतौर पर इन बातों का ध्यान रखते हैं-

  • आप डोनेशन के फायदे और जोखिम समझते हों
  • आप पर किसी तरह का दबाव न हो
  • अगर आप मेंटल हेल्थ की दवा लेते हैं, तो आप लंबे समय से स्थिर हों

यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारी होना डोनेशन रोक नहीं देता. मुद्दा यह है कि आप सुरक्षित और समझदारी से फैसला ले पा रहे हैं या नहीं.

सपोर्ट सिस्टम और रिकवरी की जरूरत

किडनी डोनेट करने के बाद पूरी तरह ठीक होने में लगभग 4 से 6 हफ्ते लगते हैं. इस दौरान आपको घर में सहयोग और आरामदायक माहौल चाहिए होता है.

सपोर्ट सिस्टम में शामिल हो सकता है-

  • मदद करने वाला कोई व्यक्ति- खाना, सफाई, गाड़ी चलाना या शुरुआती कुछ दिनों की जरूरतें
  • इमोशनल सपोर्ट- ताकि आप चिंताओं से न घबराएं
  • साफ-सुथरा और सुरक्षित माहौल- जिससे इंफेक्शन का खतरा कम हो

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