अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ड्रिल, बेबी ड्रिल अमेरिका में फेमस हो गया था, लेकिन उनके हालिया बयान ने पाकिस्तान में नई बहस छेड़ दी. ट्रंप ने दावा किया था कि पाकिस्तान के पास काफी बड़ा समुद्री तेल भंडार मौजूद है. इसके बाद पाकिस्तान की राजनीति, सेना और ऊर्जा संस्थानों में अचानक गतिविधि बढ़ गई. इसका असर ये हुआ कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर की अगुवाई में सरकार ने अरब सागर में एक कृत्रिम द्वीप बनाने का फैसला लिया है. यह द्वीप सिंध के सुजावल क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर दूर होगा, जबकि कराची से इसकी दूरी करीब 130 किलोमीटर बताई गई है.
ब्लूमर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक द्वीप निर्माण का उद्देश्य 24 घंटे समुद्री ड्रिलिंग जारी रखना है. ऊंचे समुद्री ज्वार से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म को लगभग 6 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है. Pakistan Petroleum Limited (PPL) इस परियोजना को संचालित कर रही है. संस्था का कहना है कि आइलैंड का निर्माण अगले वर्ष फरवरी तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद 25 नए ड्रिलिंग कुओं का काम तुरंत शुरू कर दिया जाएगा. यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा तकनीकी कदम माना जा रहा है, क्योंकि आर्टिफ़िशियल आइलैंड तकनीक का उपयोग अब तक ज्यादातर खाड़ी देशों, चीन और जापान जैसे विकसित देशों की तरफ से ही किया जाता रहा है.
2019 की ‘Kekra-1’ खोज
करीब 5 साल पहले पाकिस्तान ने कराची के पास ‘Kekra-1’ नामक कुएं में भारी निवेश किया था. उस समय इस परियोजना में Exxon Mobil, Shell, Total Energies और Kuwait Petroleum जैसी विश्वस्तरीय कंपनियां भी शामिल थीं, लेकिन गहराई तक ड्रिलिंग करने के बाद भी तेल का कोई संकेत नहीं मिला और अंत में सिर्फ समुद्री पानी ही हाथ लगा. इसके बाद अधिकांश विदेशी कंपनियों ने पाकिस्तान की खोज योजनाओं से दूरी बना ली, क्योंकि उनका मानना था कि संभावित तेल भंडार की मात्रा जोखिम और लागत के मुकाबले बहुत कम हो सकती है.
क्या ट्रंप के बयान ने परियोजना को प्रभावित किया?
ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान यह परियोजना बिना गहन वैज्ञानिक अध्ययन के शुरू कर रहा है. उन्हें लगता है कि सरकार और सेना ने ट्रंप की टिप्पणी को अत्यधिक महत्व दे दिया, जबकि इस दावे का समर्थन करने वाला कोई वैज्ञानिक डेटा अभी उपलब्ध नहीं है. जब देश IMF कर्ज़ों पर निर्भर हो और आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहा हो, तब अरबों रुपये की समुद्री ड्रिलिंग परियोजना कई सवाल खड़े करती है.
तेल नहीं मिला तो क्या होगा?
इस परियोजना की विफलता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाल सकती है. विदेशी निवेशक पहले ही सावधानी बरत रहे हैं और इस तरह के जोखिम भरे प्रयास निवेश वातावरण को और खराब कर सकते हैं. IMF के साथ चल रहे ऋण कार्यक्रम पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और देश की राजनीतिक तथा सैन्य विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह परियोजना असफल होती है तो यह पाकिस्तान के लिए गंभीर आर्थिक झटका साबित हो सकता है.
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