“रोजगार दो–सामाजिक न्याय दो” पदयात्रा नौवें दिन प्रतापगढ़ में जबरदस्त जनसमर्थन के साथ आगे बढ़ी. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह की अगुवाई में पदयात्रा सुबह 10 बजे आशीर्वाद बैंक्वेट से शुरू हुई और भगत सिंह प्रतिमा चौराहा, भूपिया मऊ, एचपीएस वाटिका होते हुए विश्वनाथगंज बाज़ार पहुंची.
पूरे रास्ते लोग जिस तरह पदयात्रा के स्वागत में सड़कों पर उमड़ पड़े, वह इस बात का प्रमाण था कि यह यात्रा अब एक राजनीतिक कार्यक्रम के बजाय जनता की उम्मीदों की आवाज बन चुकी है. युवा हों या महिलाएं, किसान हों या बुनकर-सबने इस पदयात्रा में शामिल होकर संजय सिंह के आह्वान को मजबूत समर्थन दिया. वकीलों, मज़दूरों, छोटे कारोबारियों, आशा बहुओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षा मित्रों, शिक्षा अनुदेशकों और पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले कर्मचारियों ने भी पूरे रास्ते भारी उत्साह के साथ पदयात्रा में अपनी सहभागिता दर्ज की और पदयात्रा को जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला.
‘बीजेपी सरकार ने यूपी को बेरोजगारी के अंधेरे में धकेला’
“रोज़गार दो–सामाजिक न्याय दो” पदयात्रा के दौरान राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि “ भाजपा सरकार के राज में उत्तर प्रदेश आज जिस बेरोजगारी के अंधेरे में धकेला गया है, वह केवल आर्थिक संकट ही नहीं बल्कि युवाओं के आत्मविश्वास पर सीधा प्रहार है. लखनऊ में शिक्षामित्रों के सिर मुंडवाने की घटना हो या रोज़गार के लिए सड़कों पर उतरे युवाओं की पीठ पर पड़ी लाठियां, ऐसी घटनाओं ने प्रदेश के नौजवानों में हताशा के अंधेरे में धकेलने का काम किया है.
सरकार की नाकामी ने नौजवानों को परीक्षा-दर-परीक्षा पेपर लीक के नाम पर ठगने का ही काम किया है. जबकि सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान, बुनकर, लघु उद्योग और कुटीर-उद्योग दम तोड़ते गए. आप सांसद ने कहा कि यह पदयात्रा रोज़गार के लिए दर दर भटकते नौजवानों को उनका हक़ दिलाने के लिए निकली है.
संजय सिंह ने क्यों जोड़ा सामाजिक न्याय दो?
संजय सिंह ने कहा कि पदयात्रा के दूसरे अहम मुद्दे ‘ सामाजिक न्याय दो’ की मांग को हमने इस पदयात्रा में इसीलिए जोड़ा है कि आज उत्तर प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और वंचितों पर अन्याय का बोझ इतना बढ़ चुका है कि गांव की चौपाल से लेकर शहर के चौराहे तक उनकी आवाज़ दबाने की कोशिशें होती हैं. कभी पिछड़ी जाति का होने के कारण कथा वाचक का सिर मुड़वा दिया जाता है तो कभी सीआरपीएफ के जवान को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता क्योंकि वह दलित समाज से आता है.
रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की मोब लिंचिंग में हत्या कर दी जाती है. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी की नाक के नीचे काकोरी में पासी समाज के बुज़ुर्ग के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और दलित और पिछड़े समाज की बहन बेटियों के साथ अत्याचार तो उत्तर प्रदेश में आम बात हो गई है.
संवेदनहीन हो चुकी प्रदेश सरकार- संजय सिंह
सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा को चोट पहुंचाने वाली सोच का परिणाम है. प्रदेश की सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन हो चुकी है. हमारी यह पदयात्रा उसी व्यवस्था को आईना दिखाने निकली है—और जब तक उत्तर प्रदेश में दलित, पिछड़े, शोषित और वंचित वर्ग को बराबरी और सम्मान नहीं मिल जाता और हताश हो चुके नौजवानों को रोजगार सुनिश्चित नहीं होता, हमारा संघर्ष जारी रहेगा.
प्रतापगढ़ में जगह जगह संजय सिंह का हुआ भव्य स्वागत
“रोज़गार दो–सामाजिक न्याय दो” पदयात्रा अपने नौवें दिन जैसे ही भगत सिंह प्रतिमा चौराहा पहुंची, वहां लोगों ने फूल मालाओं से सांसद संजय सिंह का जोरदार स्वागत किया. इन सभी लोगों ने बड़े आत्मीय भाव से पदयात्रा का समर्थन किया और यात्रा में ऊर्जा भरने का काम किया.
पदयात्रा के भूपिया मऊ पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने पदयात्रा का पूरे उत्साह से स्वागत किया, जिसके बाद एचपीएस वाटिका पहुंचने पर पदयात्रा के स्वागत में भारी भीड़ उमड़ पड़ी. आगे विश्वनाथगंज बाज़ार में पदयात्रा का भव्य स्वागत हुआ, लोगों ने फूल मालाओं से पदयात्रा का अभिवादन किया. दिन का समापन एनआरएस रिसॉर्ट, विश्वनाथगंज, भवानीपुर में हुआ, जहाँ स्थानीय नागरिकों ने संजय सिंह और पदयात्रा के पूरे दल का फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया.
दिनभर चली पदयात्रा के बाद संजय सिंह शाम को प्रतापगढ़ के एनआरएस रिसॉर्ट, विश्वनाथगंज, भवानीपुर पहुंचे, जहां अपने साथियों के साथ रात्रि विश्राम करेंगे. “रोज़गार दो सामाजिक न्याय दो” पदयात्रा गुरुवार को एनआरएस रिसॉर्ट, विश्वनाथगंज, भवानीपुर से प्रारंभ होकर प्रतापगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आगे बढ़ते हुए प्रयागराज की ओर रवाना होगी.
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