Vivah Panchami 2025: संदूक से निकली दिव्य बालिका कैसे बनी जनक नंदिनी, जानें सीता जन्म की कहानी


Vivah Panchami 2025: माता सीता का विवाह भगवान श्रीराम के साथ हुआ था. मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर जनक नंदिनी सीता और दशरथ का विवाह संपन्न हुआ था. इसलिए इस तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है, जोकि इस वर्ष 2025 में 25 नवंबर को है.

धरती से जन्मी थीं सीता

देवी सीता को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. रामायण के अनुसार सीता राजा जनक की पुत्री थीं. लेकिन उनका जन्म किसी सामान्य कन्या की तरह नहीं हुआ था. बल्कि वो पृथ्वी से प्रकट हुईं थी और एक रहस्यमयी घड़े में पाई गई थीं, जिसे राजा दशरथ ने अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उस कन्या का नाम सीता रखा. इसलिए सीता को जनक नंदिनी और भूमिजा भी कहा जाता है. साती की उत्पत्ति से जुड़ी कथा हिन्दू धर्म में दिव्य जन्म का सबसे बड़ा उदाहरण है.

सीता जन्म की कथा (Goddess Sita Birth Story)

सीता के जन्म से जुड़ी पौराणिक व धार्मिक कथा के अनुसार, वर्षों वर्षा नहीं होने के कारण मिथिलावासी भीषण सूखे से जूझ रहे थे. प्रजा का जीवन संघर्ष में देख राजा जनक भी चिंतिंत हुए और समाधान के लिए उन्होंने ऋषियों, मुनियों और विद्वानों से परामर्श लिया. सभी ने सलाह दी कि, इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए राजा जनक को स्वयं खेत में हल चलाकर धरती को स्पर्श करना होगा और यज्ञ करना होगा. इसके बाद तैयारियां शुरू हो गई.

राजा जनक ने यज्ञ पूरा किया और फिर सोने का हल लेकर सूखी भूमि पर हल चलाने लगे. तभी हल की नोक किसी कठोर वस्तु से टकराई. राजा और गांव वाले सभी आश्चर्यचकित हुए. तभी राजा ने उस स्थान को खोदने का आदेश दिया. मिट्टी को अच्छी तरह से हटाया गया तो भीतर से एक चमकता हुआ संदूक दिखाई पड़ा. जब संदूक को खोला गया तो उसके भीतर एक शांत, तेजमयी, अलौकिक और सुंदर नवजात कन्या थी. कन्या को देखते ही राजा जनक समझ गए कि यह कोई साधारण बालिका नहीं हल्कि ईश्वर का वरदान है. कन्या को जैसे ही राजा जनक ने गोद में उठाया कभी आकाश में बादल छा गए और तेज वर्षा होने लगी. इस प्रकार मिथिला में वर्षों का सूखा समाप्त हुआ. सीता के रूप में निसंतान राजा जनक और रानी सुनयना को पुत्री के रूप से सीता प्राप्त हुई.

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