Margashirsha Amavasya 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व है, जो आज 19 नवंबर बुधवार को है. आज के दिन पितर धरती पर आते हैं. इसलिए इस तिथि पर किए गए पूजा-पाठ, तर्पण और दान कर्म सीधे पितरों तक पहुंचते हैं. यह सब करने से परिवार पर से पितृदोष का प्रभाव काफी भी हद तक कम होता है.
आज के दिन सूर्योदय के बाद स्नान कर के शांत मन से पितरों को याद करने की परंपरा है. दर्श अमावस्या पर जल में थोड़े काले तिल, कुश और गंगा-जल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए. यह माना जाता है कि इस अर्घ्य से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार में रुके हुए कार्य भी गति पकड़ने लगते हैं.
इस मंत्र का करें जाप
जिन परिवारों पर पितृदोष की वजह से बार-बार बाधाएं, आर्थिक परेशानियां, संतान सुख में अड़चन, या बिना वजह मानसिक तनाव आ रहा है. वे पितृदोष निवारण के लिए “ॐ पितृदेवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करते हुए पितरों से क्षमा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें.
सुने पितृ सूक्तम् का पाठ
वहीं आज मार्गशीर्ष दर्श अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ सूक्तम् का पाठ करना चाहिए. यह पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को परेशानियों से मुक्त कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. आइए आज मार्गशीर्ष की दर्श अमावस्या पर पितृ सूक्तम् का पाठ सुनते हैं.
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