haq movie इमरान हाशमी और यामी गौतम अभिनीत फिल्म ‘हक’ को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. इसके गीतकार कौशल किशोर, बिहार के मोतिहारी से हैं. डेढ़ दशक से इंडस्ट्री में सक्रिय कौशल इस फिल्म को खास मानते हैं, क्योंकि इस फिल्म की रिलीज के बाद से ही उन्हें फिल्मों के गीत लिखने के ज्यादा ऑफर मिलने लगे हैं.वरना उनकी पहचान भक्ति गीत वाले एल्बम ही थे. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
इमरान हाशमी ने भी की तारीफ
फिल्म ‘हक’को लेकर सभी वर्ग और उम्र के लोगों से कमाल का रिस्पॉन्स मिल रहा है. मेरी मां जो बिहार में हैं, उन्हें भी यह फिल्म उतनी ही पसंद आ रही है, जितनी कि मेरे मुंबई के दोस्तों को. इमरान हाशमी ने भी मुझे कहा कि बहुत अच्छे गाने लिखे हैं. मैं ‘हक’जैसी सामाजिक फिल्म का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं. इसके लिए मैं फिल्म के संगीतकार विशाल मिश्रा का शुक्रगुजार हूं। उनका और मेरा रिश्ता एक दशक से भी ज्यादा पुराना है. उनकी वजह से ही मैं इस फिल्म से जुड़ा. उन्होंने मुझे बताया कि निर्देशक सुपर्ण वर्मा मिलने आ रहे हैं. तुम भी आ जाओ. उसके बाद हक़ से मैं भी जुड़ गया. साथ ही मैं भगवान राम की भी कृपा मानता हूं.उनकी कृपा ही है ,जो मैंने मोतिहारी से मुंबई तक का सफर तय किया.
फिल्म से जुड़ीं चुनौतियां
‘हक’फिल्म से जुड़ी चुनौतियों की बात करूं, तो एक गाना लिखने वक्त सिर्फ आपको एक सिचुएशन ध्यान रखना होता है. पूरी फिल्म लिख रहे होते हैं, तो आपको पूरी स्क्रिप्ट और किरदार को ध्यान में रखना होता है.टाइम जोन भी अलग था. यह वुमन सेंट्रिक फिल्म है, तो आपको एक महिला के नजरिये से पूरा सिनेरियो देखना पड़ता है. मैं अलग धर्म से भी आता हूं, तो मुझे उसका भी ध्यान रखना था. वैसे एक आर्टिस्ट का काम ही यही है कि आप खुद को भूलकर अपने क्राफ्ट के साथ न्याय करें. कुबूल गाने को आप सुनेंगी, तो पायेंगी कि उसमें लाइन है कि तेरा झूठ भी कुबूल है. एक वक्त में जब वह अपने महबूब को खुदा समझती है और फिर एक जो दौर आया, जब उसने असल खुदा को जाना. मुझे लगता है कि इस बदलाव को गीतों में लाना जादुई बात थी.
छह साल की उम्र में तय कर लिया था गीत लिखना है
मैं बिहार के मोतिहारी से हूं. मेरे पिता पोएट्री लिखते थे तो लेखन का गुण उनकी वजह से ही मुझमें आया. छह साल की उम्र में ही तय कर लिया था कि मुझे गीतकार बनना है. 2010 में मुंबई आ गया था. पहली फिल्म कंधार थी लेकिन पहचान के लिए लगभग एक दशक तक का इन्तजार करना पड़ा। पहचान कोविड के वक्त लिखे गीत मुस्कुराएगा इंडिया से मिली. जर्नी उतार चढ़ाव से भरी रही है, लेकिन मैं उसे बड़ा नहीं मानता हूं. आपको अगर आपके काम से प्यार है, तो संघर्ष को भी अपनाना होगा. मेरी लाइनें भी हैं कि हर रास्ता फूल है अगर चुनौतियां कुबूल हैं. मेरे परिवार ने हमेशा मेरा साथ दिया, जिससे संघर्ष में लड़ने की हिम्मत मिलती रही.
बिहार हमेशा दिल में
मैं भले ही अब मुंबई में रहता हूं, लेकिन बिहार मेरे दिल में है. यही वजह है कि मैं हर छठ पूजा पर छठ के गीत निकालता ही हूं, जिसे सभी का बहुत प्यार मिलता है. मेरा पूरा परिवार भी वही हैं तो बिहार हमेशा मुझ में रहने वाला है।
आनेवाले प्रोजेक्ट्स
मैं रामायण पर एक गीत लिख रहा हूं. कुछ अलग लार्जर देन लाइफ करने की कोशिश है.जो अब तक दर्शकों के बीच नहीं आया हो.वैसा कुछ करने की सोचा है बाकी तो गाना के बाद ही मालूम पड़ेगा कि मैं कामयाब हुआ हूं या नहीं
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