Bihar CM Oath Ceremony: 20 नवंबर को अगर ‘नीतीश’ लेते हैं शपथ तो क्या विशेष होगा? जानें चौंकाने वाली भविष्यवाणी

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Nitish Kumar Shapath Grahan: बिहार की राजनीति फिर एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. सत्ता बदलने की संभावनाओं के बीच एक तारीख तेज़ी से राजनीतिक गलियारों में घूम रही है ’20 नवंबर 2025′. यह तारीख फिलहाल शपथ-ग्रहण  के लिए संभावित डेट मानी जा रही है, लेकिन असली सवाल यही है कि आख़िर क्यों यही तारीख? क्या यह केवल प्रशासनिक अधिकारियों की सोच का परिणाम है या फिर इस दिन की कोई ऐसी ऊर्जा है जिसे नेता भी अनदेखा नहीं कर सकते?

ज्योतिष, अंकशास्त्र, मैदिनी शास्त्र और प्राचीन ग्रंथ बृहत संहिता, मुहूर्त चिंतामणि और मत्स्य पुराण इस तारीख को बेहद असामान्य बताते हैं और जब इसे बिहार की सत्ता यानी नीतीश कुमार, एनडीए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र-राजनीतिक ऊर्जा के साथ जोड़कर देखा जाता है, तो तस्वीर और भी गहरी हो जाती है.

नीतीश की 10वीं शपथ का चौंकाने वाला संकेत

अगर 20 नवंबर को शपथ होती है, तो यह नीतीश कुमार की 10वीं शपथ होगी. अंक 10 का मूलांक 1 होता है और 1 अंक का स्वामी सूर्य है, जो सत्ता, अहं, नेतृत्व और निर्णायकता का ग्रह है. यानी यह शपथ नीतीश 10.0 की शुरुआत होगी, एक ऐसा संस्करण, जिसमें नरमी नहीं, बल्कि कठोर फैसलों का संकेत ज्यादा है. शास्त्र कहते हैं कि सूर्य-प्रधान मुहूर्त सत्ता के कठोर रूप को जन्म देता है.

20 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग!

20 नवंबर की सुबह तक अमावस्या रहेगी, वह तिथि जिसे सामान्य लोग नकारात्मक मानते हैं, लेकिन राजनीतिक शास्त्रों में इसे राज-चक्र पुनर्जन्म कहा गया है. ज्योतिष ग्रंथ के अनुसार अगर सत्ता का आरंभ अमावस्या के अंत में शुभ योग के साथ हो, तो शासन लंबा और प्रभावी होता है. कुल मिलाकर नीतीश और एनडीए के लिए यह रीसेट बटन है. एक ऐसा समय जब पुरानी ऊर्जा खत्म होकर सत्ता के नए युग की शुरुआत होती है.

केंद्र-राज्य में तालमेल को बढ़ाने वाला गुरुवार

20 नवंबर 2025 को गुरुवार है और इस दिन का स्वामी बृहस्पति राजनीति, मंत्री-मंडल, नीति और न्याय का ग्रह है. मुहूर्त चिंतामणि में गुरुवार को राजकार्य के लिए सर्वोत्तम माना गया है. शासन और राजनीति से इसका सीधा संबंध है. राजनीति में उच्च पद बृहस्पति यानी गुरु ही दिलाता है.

देखा जाए तो यह संयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली से भी जुड़ता है. यह समय उनके लिए सूर्य–बृहस्पति प्रधान है. यानी यह तारीख मोदी के नेतृत्व और एनडीए के कमांड स्ट्रक्चर को और मजबूत करती है. सीधे शब्दों में कहें तो यदि 20 नवंबर को शपथ होती है, तो केंद्र की पकड़ बिहार में पहले से कहीं ज्यादा प्रभावशाली होगी.

सत्ता संघर्ष से सहयोग तक की यात्रा

20 नवंबर को नक्षत्र सुबह विशाखा होगा और 10:58 बजे के बाद अनुराधा शुरू होगा. विशाखा जहां द्वंद्व, खींचतान, और असहमति का कारक है वहीं अनुराधा नक्षत्र मित्रता, गठबंधन और तालमेल को दिखाता है. बृहत संहिता के अनुसार यह नक्षत्र परिवर्तन सत्ता के भीतर संघर्ष से सहयोग की यात्रा शुरू कराता है. यानी शुरुआत थोड़ी विवादित दिखेगी, लेकिन धीरे-धीरे नया गठबंधन स्थिर और मजबूत होता नज़र आएगा. 

बिहार में मुख्यमंत्री की शपथ दो जगह होती रही है, राजभवन और गांधी मैदान. वास्तु अनुसार दोनों में दिशा-ऊर्जा बेहद शक्तिशाली है. राजभवन का मुख्य प्रवेश पूर्वमुखी है जो सूर्य की दिशा को दर्शाता है. गांधी मैदान ईशान कोण के प्रभाव क्षेत्र में. मुहूर्त शास्त्र कहता है कि पूर्व या ईशान दिशा से किया गया राजकार्य कभी टूटता नहीं. यानी, स्थान-ऊर्जा भी 20 नवंबर की ग्रह-संरचना से मेल खाती है.

एनडीए और पीएमओ की भूमिका?

20 नवंबर की कुंडली तीन चीज़ों को मजबूत करती है-

  1. केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सत्ता-निर्देशन
  2. गठबंधन की डोर प्रधानमंत्री स्तर से कसना
  3. राज्य के बड़े फैसलों में केंद्र का निर्णायक हस्तक्षेप

यानी बिहार में आने वाले वर्षों के फैसलों में PMO की भूमिका बेहद बढ़ जाएगी.

बिहार का भविष्य और 5 बड़ी संभावित घटनाएं

अगर शपथ 20 नवंबर 2025 को होती है, तो मैदिनी ज्योतिष के अनुसार बिहार के लिए अगले वर्षों में ये बदलाव देखने को मिल सकते हैं-

1. पहला साल-सख्त प्रशासन और बड़े ऐक्शन

शनि-मेष का प्रभाव प्रशासन को तेज और कठोर बनाता है. पुलिस, कानून-व्यवस्था और नौकरशाही पर बड़े फैसले.

2. गठबंधन में शुरुआती टकराव, फिर स्थिरता

विशाखा से अनुराधा का नक्षत्र परिवर्तन यह पैटर्न देता है. पहले 90 दिन तनाव भरे और उसके बाद मजबूती और तालमेल की स्थिति दिखाई देगी.

3. 2026 का बजट-बड़ा झटका या बड़ा प्रयोग

गुरु की चाल शिक्षा, कृषि, अवसंरचना में व्यापक सुधार का संकेत देती है.

4. विपक्ष 2026–27 में सबसे कमजोर दौर में

राहु-केतु विपक्ष की रणनीति को बार-बार कमजोर करते हैं. यानी सरकार विपक्ष पर हावी रहेगी, और कोई मौका नहीं देगी.

5. 2027-सत्ता के भीतर बड़ी पुनर्संरचना

मंत्रालयों का बड़ा फेरबदल, प्रशासनिक चेहरों में बदलाव, और राजनीतिक समीकरणों का नया दौर शुरु होगा.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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