
पोंगल, तमिलनाडु का एक चार दिवसीय फसल उत्सव है जो आमतौर पर हर साल 14-17 जनवरी के बीच मनाया जाता है. यह फसल, सूर्य और पशु धन के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है, जिसमें सूर्य देव की पूजा, पारंपरिक पकवान बनाना और पशुधन की पूजा जैसे अनुष्ठान शामिल हैं. इसे दक्षिण भारत में मकर संक्रांति के समान ही मनाया जाता है.

ऐसे में अब सवाल उठता है कि 2026 में पोंगल कब है, और इसे क्यों मनाया जाता है, आइए इस पर्व से जुड़ी खास परंपरा के बारे में जानते हैं. 2026 में पोंगल 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाएगा. यह सूर्य देव को समर्पित एक चार दिवसीय त्योहार है, जो अच्छी फसल और समृद्धि के लिए कृतज्ञता व्यक्त करता है. पोंगल चार दिनों तक चलता है, और चारों दिनों का अलग-अलग महत्व होता है.

14 जनवरी 2026 को भोगी पोंगल है, इस दिन लोग घरों की सफाई करते हैं, पुराने बेकार सामान को इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं. इस दिन को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, लोग इंद्र देव की पूजा करके बेहतर फसल और बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं. घरों को भी सजाया जाता है और इसी दिन से पोंगल उत्सव की शुरुआत होती है.

सूर्य पोंगल 15 जनवरी 2026 को है, इस दिन, लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं, घरों के दरवाजों को रंगोली बनाकर सजाते हैं और नए चावल को दूध, गुड़ और घी के साथ उबालकर ‘पोंगल’ नामक व्यंजन तैयार करते हैं. यह त्योहार कृषि की समृद्धि का जश्न मनाने का एक तरीका है.

मट्टू पोंगल 16 जनवरी 2026 को है, इस दिन किसान मवेशियों की पूजा करते हैं, इस दिन मवेशियों को नहलाया जाता है उनके सींगों को रंगों से रंगा जाता है, और उनके गले में रंग-बिरंगी मालाएं और घंटियां बांधी जाती हैं. माथे पर हल्दी और कुमकुम भी लगाया जाता है.

कन्नुम पोंगल 17 जनवरी 2026 को है, इस दिन लोग परिवार और दोस्तों से मिलने जाते हैं, रिश्तेदारों के यहां जाकर उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, और एक साथ मिलकर स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हैं. यह दिन सैर-सपाटे का होता है. जहां लोग पार्क या नदी के किनारे भी जा सकते हैं.
Published at : 13 Nov 2025 11:04 PM (IST)
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