Shani Dev: हम प्रतिदिन कुछ आदतों को बदलकर अपने जीवन में बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं. गलत दिशा में सोना भी कहीं न कहीं हमारे जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है. जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आपकी सोने की मुद्रा भी आपके कर्मों को बदल सकती है.
दरअसल ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय और कर्म प्रधान बताया गया है, जो जातकों की सदैव कठिन परीक्षा लेते हैं. वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से जातक की ऊर्जा सीधे तौर पर शनि से जुड़ी जाती है, उन्हें कर्म, अनुशासन और भाग्य का ग्रह कहा जाता है.
कौन सी दिशा शनि को प्रिय
- दक्षिण दिशा में सोने से शनि की ऊर्जा आपके मूलाधार चक्र को स्थिर करने का काम करती है.
- आपको किसी भी तरह के नकारात्मक सपने नहीं आते हैं.
- मानसिक शांति, अनुशासन और करियर में स्पष्टता बढ़ती है.
- साढ़ेसाती और शनि दोष के दुष्प्रभावों से छुटकारा मिलता है.
- आध्यात्मिक विकास और आंतरिक परिपक्वता जागृत होती है.
दक्षिण दिशा में सोने के अतिरिक्त लाभ क्या हैं?
- रोजाना सोने से पहले 108 बार ‘ऊँ शं शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए.
- अपने तकिए के नीचे टूमलाइन रत्न को रखें.
- लकड़ी के बिस्तर का इस्तेमाल करें, धातु के बेड पर सोने से बचें.
- शनि को संतुलन करने के लिए गद्दे के नीचे काले रंग का कपड़ा या लोहे का छल्ला रखें.
क्या करने से बचें?
शनि की दशा से बचने के लिए कभी भी उत्तर या पश्चिम दिशा में सिर करके सोना नहीं चाहिए. इससे शनि की प्रवाह बाधित होती है, जिससे तनाव और सफलता में देरी मिलती है. शनि दंड नहीं देते हैं, बल्कि कठिन परीक्षा के जरिए जातक को शुद्ध करते हैं. उनके साथ तालमेल बिठाएं, यहां तक की सोते समय भी इसका पालन करें.
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