Akshaya Navami 2025: अक्षय नवमी कब है? जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

सनातन परंपरा में कार्तिक मास का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. इस मास में दीपावली और छठ महापर्व के बाद कार्तिक पूर्णिमा तक बड़े पर्वों का सिलसिला जारी रहता है. अगर बात करें कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की नवमी की तो इसे हिंदू धर्म में आंवला नवमी या फिर अक्षय नवमी के नाम से जानते हैं.

सनातन परंपरा में कार्तिक मास का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. इस मास में दीपावली और छठ महापर्व के बाद कार्तिक पूर्णिमा तक बड़े पर्वों का सिलसिला जारी रहता है. अगर बात करें कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की नवमी की तो इसे हिंदू धर्म में आंवला नवमी या फिर अक्षय नवमी के नाम से जानते हैं.

हिंदू मान्यता के अनुसार यह तिथि अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा करने पर साधक को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए अक्षय नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.

हिंदू मान्यता के अनुसार यह तिथि अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है. मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा करने पर साधक को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए अक्षय नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि इस साल 30 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 10:06 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 31 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 10:03 बजे तक रहेगी. ऐसे में अक्षय नवमी का पावन पर्व 31 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 06:06 बजे से लेकर 10:03 बजे तक रहेगा. ऐसे में अक्षय नवमी की पूजा करने के​ लिए इस दिन तकरीबन तीन घंटे का समय मिलेगा.

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि इस साल 30 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 10:06 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 31 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 10:03 बजे तक रहेगी. ऐसे में अक्षय नवमी का पावन पर्व 31 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 06:06 बजे से लेकर 10:03 बजे तक रहेगा. ऐसे में अक्षय नवमी की पूजा करने के​ लिए इस दिन तकरीबन तीन घंटे का समय मिलेगा.

अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले व्यक्ति को स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए. इसके बाद आंवले के पेड़ की जड़ में दूध और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद आंवले के पेड़ की रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, पुष्प, फल, आदि अर्पित करके विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.

अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले व्यक्ति को स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए. इसके बाद आंवले के पेड़ की जड़ में दूध और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद आंवले के पेड़ की रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, पुष्प, फल, आदि अर्पित करके विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.

आंवले के पेड़ की पूजा करने वाले साधक को इस दिन इस वृक्ष की सात बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए. मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने पर व्यक्ति को श्री हरि यानी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वह पूरे साल सुखी और संपन्न रहता है. मान्यता यह भी है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले को प्रसाद के रूप में खाने से आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

आंवले के पेड़ की पूजा करने वाले साधक को इस दिन इस वृक्ष की सात बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए. मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने पर व्यक्ति को श्री हरि यानी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वह पूरे साल सुखी और संपन्न रहता है. मान्यता यह भी है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले को प्रसाद के रूप में खाने से आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Published at : 29 Oct 2025 11:35 AM (IST)

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