Vodafone Idea AGR case: केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 29 अक्टूबर को कहा कि वोडाफोन आइडिया के AGR (Adjusted Gross Revenue) मामले में सरकार को अभी सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश नहीं मिला है। आदेश मिलने के बाद ही उसके असर का आकलन किया जाएगा और फिर कोई नीतिगत फैसला लिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमें आदेश को विस्तार से पढ़ना होगा ताकि उसके मायने समझे जा सकें। हम वोडाफोन आइडिया के आवेदन करने का इंतजार करेंगे।’
सरकारी सूत्रों ने Moneycontrol को बताया कि वोडाफोन आइडिया को राहत देने पर फैसला तभी होगा, जब आदेश की पूरी कॉपी का अध्ययन कर लिया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जजमेंट के बारीक बिंदु ही यह तय करेंगे कि आगे की दिशा क्या होगी। फिलहाल लिखित आदेश का इंतजार है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कोर्ट का निर्देश आने के बाद वोडाफोन आइडिया को यह बताना होगा कि वह किस तरह की राहत चाहती है। उन्होंने कहा, ‘राहत की सीमा इस बात पर निर्भर करेगी कि कोर्ट के आदेश में क्या शब्द इस्तेमाल हुए हैं और अंदरूनी विचार-विमर्श क्या कहता है।’

AGR मांग की दोबारा जांच
सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर के फैसले में को दूरसंचार विभाग (DoT) को यह अनुमति दी कि वह वोडाफोन आइडिया से संबंधित AGR बकाया की दोबारा समीक्षा कर सके और कंपनी की शिकायतों को बिना न्यायिक हस्तक्षेप के सुलझा सके। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि राहत देना या न देना सरकार की नीति का मामला है। फिलहाल सरकार के पास घाटे में चल रही कंपनी में 49% हिस्सेदारी है।
कोर्ट ने कहा, ‘हमें भारत सरकार के इस मामले पर दोबारा विचार करने और कानून के मुताबिक उचित फैसला लेने में कोई आपत्ति नहीं दिखती।’ फिलहाल कोर्ट का विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा गया है।
वोडा आइडिया पर कितना बकाया
वोडाफोन आइडिया ने DoT की ओर से मांगे गए 9,450 करोड़ रुपये के अतिरिक्त AGR बकाये को चुनौती दी थी। कंपनी ने ब्याज और पेनल्टी पर छूट की मांग की है।
कंपनी पर कुल करीब 83,400 करोड़ रुपये का AGR बकाया है। इसे मार्च 2026 से हर साल लगभग 18,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। ब्याज और जुर्माने समेत यह रकम करीब 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है।

एनालिस्ट्स बोले की राय
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कंपनी के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है और मार्च 2026 से पहले राहत मिलने की संभावना बन सकती है। सिटी रिसर्च के मुताबिक, ‘यह फैसला वोडाफोन आइडिया और उसके साथ इंडस टावर्स दोनों के लिए बेहद सकारात्मक असर डाल सकता है। राहत आने वाले कुछ हफ्तों या महीनों में मिल सकती है।’
एनालिस्ट्स का मानना है कि फैसले के बाद बैंक फंडिंग के 25,000 करोड़ रुपये तक के रास्ते खुल सकते हैं। इससे लेंडर्स का भरोसा बढ़ेगा और नेटवर्क निवेश (capex) जारी रह सकेगा।
इसके साथ ही कंपनी को नया इक्विटी निवेश मिलने की उम्मीद है। इससे सरकार की हिस्सेदारी 49% से नीचे आ सकती है और आगे डेट-टू-इक्विटी कन्वर्जन भी मुमकिन हो सकता है। यानी जो कर्ज बाकी है, उसका कुछ हिस्सा शेयरों में बदलकर कंपनी पर से कर्ज का बोझ घटाया जा सकता है।
सिटी रिसर्च ने कहा, ‘अगर कंपनी सफलतापूर्वक इक्विटी जुटाने में कामयाब रही, तो वोडाफोन आइडिया के रास्ते की कई अड़चन दूर हो जाएंगी। यह इंडस टावर्स का डिविडेंड दोबारा शुरू करने का रास्ता भी साफ करेगा।’
वोडाफोन आइडिया ने क्या कहा
27 अक्टूबर को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में वोडाफोन आइडिया ने कहा कि वह DoT के साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम करेगी ताकि लगभग 20 करोड़ सब्सक्राइबर्स के हित सुरक्षित रह सकें। कंपनी ने इस फैसले को ‘डिजिटल इंडिया विजन के लिए नई ऊर्जा देने वाला कदम’ बताया।
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Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।
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