Causes of Child Aggression: हम अक्सर यह सोचते हैं कि बच्चे हिंसक नहीं हो सकते. वे बस शरारत कर रहे होंगे या फिर थोड़ा बहुत उनके अंदर किसी बात को लेकर गुस्सा होगा. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. बच्चे भी हिंसक हो सकते हैं. यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि रिचर्ड ई. ट्रेम्बले के शोध ‘The Development of Physical Aggression’ (2012) के मुताबिक. अधिकतर बच्चे जन्म के बाद दूसरे साल से पहले ही शारीरिक आक्रामकता दिखाना शुरू कर देते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है.
क्या सच में बच्चे पैदा होते ही हिंसक हो जाते हैं?
इस बात को सिद्ध करने के लिए रिचर्ड ई. ट्रेम्बले ने अपने शोध पत्र में उन तमाम चीजों का जिक्र किया है. जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि बच्चे जन्म के बाद से ही हिंसक रूप धारण करने लगते हैं. इसमें उन्होंने तमाम मामलों के बारे में जिक्र किया है. जिसमें दुनिया के सबसे कम उम्र के सीरियल किलर ने सिर्फ 7 साल की उम्र में पहली हत्या करने का आरोप झेला था. इसके अलावा जापान में भी एक 11 साल की बच्ची ने बॉक्स कटर से अपनी सहपाठी की हत्या कर दी और फिर शांति से अपनी कक्षा में लौट गई. इस तरह के मामले काफी दुर्लभ हैं. लेकिन इस बात का प्रमाण हैं कि बच्चों में जन्म के बाद ही हिंसक प्रवृत्ति बनने लगती है. सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर बचपन का आक्रोश समय पर काबू में नहीं लाया गया. तो वही आगे चलकर किशोर या वयस्क अवस्था में और भी खतरनाक रूप ले सकता है. खासकर तब. जब आप देखते हैं कि अधिकतर सामूहिक हत्याकांड करने वाले युवा. असामाजिक पुरुष ही होते हैं.
2011 के लेख ‘Understanding Violent Behavior in Children and Adolescents’ में बच्चों में हिंसक व्यवहार के कई कारण बताए गए हैं. इनमें सबसे सामान्य है उनका किसी भी तरह के हिंसा या शोषण का शिकार होना. इसके अलावा टीवी. फिल्म. वीडियो गेम या असल जिंदगी में हिंसा देखने से भी बच्चा प्रभावित होता है. इसके साथ ही गरीबी और भूख भी आक्रामक प्रवृत्ति को जन्म देती है.
हिंसा के शुरुआती लक्षण
अब चलिए आपको बताते हैं कि आप कैसे पता कर सकते हैं कि आपका बच्चा जन्म से ही हिंसक होना शुरू हो चुका है. इसके कुछ लक्षण होते हैं. जो इस तरह से हैं कि बार-बार गुस्से के दौरे आना. जानवरों या कीड़ों को नुकसान पहुंचाना. बिना सोचे-समझे काम करना. अकेलापन और सामाजिक दूरी. हिंसक कंटेंट देखना. गिल्ट या पछतावा न होना और खुद को नुकसान पहुंचाना. जैसे तमाम लक्षण इसमें शामिल होते हैं.
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
अब सवाल आता है कि अगर बच्चे में इस तरह का व्यवहार दिख रहा है. तो ऐसी स्थिति में माता-पिता को क्या करना चाहिए. इसका जवाब है कि जब बच्चा हिंसक व्यवहार दिखाए तो खुद शांत रहें. गुस्से में सजा देने से स्थिति और बिगड़ेगी. सख्त लेकिन शांत लहजे में समझाएं कि उसका व्यवहार गलत है. साथ ही उसकी बात भी सुनें. इसके अलावा शांत माहौल में बातचीत करें. जहाँ बच्चा सुरक्षित महसूस करे. इसके अलावा काउंसलर की मदद ली जा सकती है. ताकि बच्चे की बात को आसानी से समझा जा सके और उसे किस तरह की दिक्कत या तकलीफ है. इसका पता चल सके.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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