लखनऊ। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर (Amitabh Thakur) ने सोमवार को मुरादाबाद के सिविल लाइंस इलाके में एक निजी अस्पताल द्वारा अवैध कब्जा किए जाने के आरोपों के संबंध में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) को शिकायत भेजी है।
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राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर (Amitabh Thakur) ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें डीएम मुरादाबाद अनुज सिंह के तरफ से एमडीए के उपाध्यक्ष को कथित रूप से भेजा एक पत्र प्राप्त हुआ है। इस पत्र के अनुसार ग्राम छावनी, तहसील मुरादाबाद के गाटा संख्या 470 का कुल क्षेत्रफल 4.95 एकड़ (20032 वर्ग मीटर) है जिसमें मात्र 2713 वर्ग मीटर फ्री होल्ड भूमि है और 17318 वर्ग मीटर भूमि सरकारी नजूल जमीन है। इस पर बिना डीएम के अनुमति के कोई कार्य नहीं हो सकता है।
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि उन्हें सिविल लाइंस क्षेत्र में डॉ. मंजेश राठी के तरफ से फर्जी एनओसी के माध्यम से एमडीए से नक्शा पास कर कर 6000 वर्गमीटर से अधिक नजूल भूमि पर तेजी से बहुमंजिला डीआरएम अस्पताल का निर्माण किए जाने और डीएम मुरादाबाद और एमडीए उपाध्यक्ष के पूरी तरह मूकदर्शक रहने की जानकारी दी गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री से शासन स्तर पर इसकी जांच करा कर सरकारी जमीन को बचाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट योगी सरकार को 90 दिनों में सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने का दे चुका है सख्त आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेशवासियों को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने में उदासीन ग्राम प्रधान और लेखपाल के खिलाफ दीवानी अवमानना की कार्रवाई करने का अधिकार दिया है। यह कार्रवाई हाईकोर्ट में की जा सकेगी। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट अक्टूबर माह में प्रदेश में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण 90 दिनों के भीतर हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून के अनुसार कार्य करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि ने झांसी के मुन्नीलाल उर्फ हरिशरण की जनहित याचिका निस्तारित करते हुए दिया है।
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कोर्ट ने कहा कि किसी सड़क पर कोई बाधा या अतिक्रमण है तो व्यक्ति गलत तरीके से कैद होने को मजबूर हो जाएगा और बिना रास्ता या सड़क, जीवन नर्क के समान है। सड़क आवश्यक है क्योंकि यह व्यक्ति की ही नहीं, बल्कि समाज के व्यापक जनमानस की शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सम्मान आदि भी प्रभावित करती है इसलिए रास्ते या सड़क पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। इसलिए इस मामले में जीरो टारलेंस की नीति अपनाते हुए अतिक्रमण यथाशीघ्र हटाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारियों पर हर्जाना लगाएं और यदि जरूरी हो तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई करें।
कोर्ट पहले ही मान चुकी है कि फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए हैं। इनका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों (जैसे फेरी लगाना या कार क्लिनिक चलाना) या निजी ढांचे के लिए नहीं किया जा सकता। इसलिए संबंधित अधिकारी इन्हें बाधाओं से मुक्त रखें। कोर्ट ने झांसी के डीएम को निर्देश दिया कि एसडीएम की अध्यक्षता में टीम गठित कर याची की शिकायत की जांच कराएं। यदि राजस्व अभिलेखों में दर्ज सार्वजनिक रास्ते पर अतिक्रमण पाया जाता है तो संबंधित हल्का लेखपाल के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए, जिसने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण से इनकार करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
यह प्रक्रिया 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी की जाए। कोर्ट ने इस बात पर दुःख जताया कि न्यायालय अतिक्रमण से संबंधित जनहित याचिकाओं से भरा है। कोर्ट ने सभी डीएम और एसडीएम को निर्देश दिया कि ऐसे लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करें जो किसी अतिक्रमण के संबंध में संबंधित तहसीलदार या तहसीलदार न्यायिक को इस आदेश की तिथि से 60 दिनों के भीतर सूचना न दें। साथ ही इसे उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियम 2016 के नियम 195 के अंतर्गत कदाचार माना जाए।
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