
हिंदू धर्म में शनि देव को न्यायाधीश या कर्म फलदाता के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे भी कई कथाएं हैं. मान्यता है कि शनि देव हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा भी रखते हैं. धार्मिक मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति गलत कार्य करके उनके प्रकोप से नहीं बच सकता है. उनकी तीव्र दृष्टि गलत करने वाले मनुष्य को जरूर सजा देती है. शनिदेव अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार तुरंत फल देते हैं.

शनिदेव का प्रिय रंग काला होता है. काला रंग गंभीरता, शक्ति और नकारात्मकता से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है. यह काला रंग भी शनिदेव को न्याय के रूप में अनादि देव शिव से आशीर्वाद के रूप में मिला था. भारतीय संस्कृति में बुरी नजर से बचने के लिए भी काले रंग का प्रयोग किया जाता है. मान्यता है कि काले रंग का उपयोग करने से व्यक्ति शनि की कठोर दृष्टि से बच सकता है और उसे राहत मिलती है.

पुराणों में कहा गया है कि शनि देव की माता छाया भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं. उनके गर्भ में जब शनि देव थे तब उनकी माता ने एक तेजस्वी पुत्र के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की. इस कारण धूप व गर्मी की की तपिश से गर्भ में ही शनिदेव का रंग काला हो गया. जब शनि पैदा हुए तब वे काले थे. उनके काले रंग को देखकर सूर्य देव ने उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया. इससे क्रोधित शनि ने शिवजी की कठोर तपस्या की.

भगवान शिव ने उनको वरदान दिया कि तुम सबसे शक्तिशाली ग्रह बनोगे और तुम्हारी पूजा अनंत काल तक होती रहेगी. तुम न्याय के सच्चे देवता के रूप में जाने जाओगे. उसके बाद से ही शनि देव का प्रिय रंग काला और वह न्यायाधीश के रूप में प्रसिद्ध हो गए. शिव जी के वरदान से शनि अत्यंत शक्तिशाली देव बन गये.

खुद के काले रंग का होने और सूर्य देव द्वारा काले रंग निरादर के कारण शनि देव को अपना काला रंग अत्यंत प्रिय हो गया. शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त उन्हें काले रंग की वस्तुएं चढ़ायेगा, वे उसकी हर मनोकामना पूरी करेंगे. तभी से शनि देव को भक्त लोहे से बनी चीजें, काला तिल, काली उड़द, काला कपड़ा चढ़ा कर उनको प्रसन्न करते हैं.

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें: ष्ॐ शं शनैश्चराय नमःष् ष्ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमःष् ष्ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये. सय्योंरभीस्रवन्तुनः
Published at : 04 Oct 2025 11:14 AM (IST)
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