
इस्लाम धर्म के अनुसार जब इंसान किसी खास जगह जैसे घर, कार, या कमरे में जाता है और बिस्मिल्लाह यानी अल्लाह का नाम नहीं लेता है, तो उस जगह पर शैतान का वास होता है. वही अगर बिस्मिल्लाह पढ़ ली जाए तो शैतान को अंदर जाने की इजाजत नहीं मिलती है.

ऐसी जगह जहां कुरान पढ़ने या सुनने का इंतजाम न हो, तो वह जगह अल्लाह के बर्कत (आशीर्वाद) और रहमत से खाली हो जाती है. कुरान को पढ़ने और सुनने से सुकून मिलता है और ऐसी जगह पर कभी भी शैतान का वास नहीं होता है.

शैतान का वास वहां भी होता है, जहां अल्लाह का जिक्र नहीं किया जाता है. किसी बैठकों, महफिलों या बातचीत में अल्लाह का जिक्र न आए तो वह महफिल बेगरत और फिजूल मानी जाती है.

इस्लाम धर्म के मुताबिक जिन घरों में नमाज या अल्लाह की इबादत न की जाती हो, वहां शैतान का वास होता है. नमाज और अतिरिक्त इबादतें करने से खुदा की रहमत और बरकत बनी रहती है.

कभी भी खाना खाने से पहले बिस्मिल्लाह न कहने पर शैतान भी उसी खाने में शरीक हो जाता है. लेकिन बिस्मिल्लाह कहने से खाना अल्लाह की हिफाजत में आ जाता है और शैतान उसका भागीदार नहीं बन पाता है.

जिन घरों में लोग बाएं हाथ से खाना खाते हैं, उन घरों में शैतान का वास होता है. अल्लाह ने फरमाया है कि, हमेशा दाएं हाथ से ही खाना खाना चाहिए, क्योंकि बाएं हाथ का इस्तेमाल गंदगी और नापाक कामों के लिए किया जाता है.

इस्लाम धर्म के मुताबिक जब इंसान अल्लाह का नाम लिए बिना ही सो जाता है, तो शैतान नींद में भी दखल देता है. वही सोने से पहले दुआ और जिक्र से नींद इबादत बन जाती है.

जहां रात के समय दरवाजे और खिड़कियां बंद न की जाए तो शैतान और नापाक चीजें अंदर आ सकती हैं. इसलिए रात को सोते समय खिड़की और दरवाजे बंद रखना चाहिए.

अल्लाह ने हिदायत दी है कि, शाम और रात के समय छोटे बच्चों को बेवजह घर से बाहर नहीं जाने दे,क्योंकि उस समय जिन्नात और शैतानी शक्तियों की ताकतें बढ़ जाती है. इसलिए शाम होते ही बच्चों को घर के अंदर कर लें.

अल्लाह ने फरमाया है कि, जब पति-पत्नी संबंध स्थापित करें तो उससे पहले दुआ जरूर पढ़नी चाहिए. अगर हमबिस्तरी से पहले दुआ पढ़ी जाए तो शैतान की बुरी नजर संबंध और उससे जन्म लेने वाले बच्चे पर नहीं पड़ती है.
Published at : 30 Sep 2025 08:09 PM (IST)
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