F&O Trading से जुड़ी बड़ी खबर! SEBI ने कड़े किए ट्रेडिंग से जुड़े नियम, 1 अक्टूबर से होगा लागू SEBI ने एफएंडओ ट्रेडिंग (F&O Trading) के लिए नए नियम लागू किए हैं, जो 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होंगे. इन नियमों के तहत पोजिशन लिमिट कैश मार्केट से लिंक होगी, बैन नियम कड़े किए जाएंगे, इंट्राडे निगरानी बढ़ाई जाएगी और दिसंबर से एफएंडओ में प्री-ओपन सेशन शुरू किया जाएगा.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डेरिवेटिव मार्केट यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) में ट्रेडिंग के नियमों को सख्त कर दिया है. नए नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होंगे. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य बाजार में बढ़ती सट्टेबाजी पर लगाम लगाना और निवेशकों के लिए जोखिम को कम करना है. सेबी ने यह कदम खासतौर पर इसलिए उठाया है ताकि एफएंडओ बाजार का संचालन कैश मार्केट (स्पॉट मार्केट) से बेहतर तरीके से जुड़ा रहे और इसमें पारदर्शिता बनी रहे.

नए नियमों की मुख्य बातें

सेबी ने कहा है कि अब एफएंडओ ट्रेडिंग में मार्केट-वाइड पोजिशन लिमिट (MWPL) को और सख्त कर दिया गया है. पोजिशन लिमिट यानी किसी शेयर या इंडेक्स पर निवेशक और ब्रोकर कितने कॉन्ट्रैक्ट ले सकते हैं, उसकी अधिकतम सीमा. अब MWPL को शेयर के फ्री-फ्लोट मार्केट कैप और कैश वॉल्यूम से लिंक किया गया है.

इसकी गणना इस तरह होगी कि यह फ्री फ्लोट के 15% या एक्सचेंज में कैश वॉल्यूम के 65 गुना में से जो कम होगा, वही सीमा तय की जाएगी. इसका मतलब है कि ज्यादा कारोबार वाले शेयरों में ट्रेडिंग लिमिट बड़ी होगी, जबकि छोटे शेयरों में लिमिट कम होगी ताकि उनमें अनावश्यक सट्टेबाजी न हो.

तिमाही आधार पर अपडेट होगा डेटा

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सेबी ने यह भी तय किया है कि MWPL को रोलिंग कैश वॉल्यूम डेटा के आधार पर हर तिमाही अपडेट किया जाएगा. इसका फायदा यह होगा कि बदलते बाजार हालात को ध्यान में रखते हुए लिमिट्स भी बदलती रहेंगी. इससे निवेशकों को अधिक पारदर्शिता मिलेगी और बाजार में असमानता कम होगी.

बैन में गए शेयरों के लिए सख्त नियम

नए नियमों में यह प्रावधान है कि यदि कोई शेयर MWPL के 95% से अधिक चला जाता है, तो उस शेयर पर बैन लग जाएगा. बैन लगने की स्थिति में ब्रोकर और ट्रेडर केवल अपनी मौजूदा पोजिशन को कम करने के लिए ट्रेड कर सकेंगे.

नई पोजिशन बनाने की अनुमति नहीं होगी. साथ ही, सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैन के बाद अगले दिन के अंत तक ओपन इंटरेस्ट (OI) में कमी आनी ही चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर पहले दिन किसी स्टॉक का डेल्टा पोजिशन +10 या -10 है, तो दूसरे दिन यह घटकर 0 होना जरूरी है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि बैन का पालन सही तरीके से हो रहा है.

इंट्राडे निगरानी होगी और कड़ी

सेबी ने कहा है कि 3 नवंबर 2025 से एकल शेयरों की MWPL की इंट्राडे निगरानी भी की जाएगी. इसके लिए क्लियरिंग कॉर्पोरेशन दिन में कम से कम चार बार जांच करेगा. यदि किसी शेयर की पोजिशन लिमिट का उल्लंघन होता है, तो एक्सचेंज अतिरिक्त निगरानी मार्जिन (ASM) लगाएंगे और अन्य दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है.

यह कदम खासतौर पर उन निवेशकों और ट्रेडरों के लिए अहम है जो इंट्राडे में बड़ी पोजिशन लेते हैं. अब उन्हें अपनी लिमिट का ध्यान रखना पड़ेगा, वरना अतिरिक्त मार्जिन और पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है.

एफएंडओ के लिए प्री-ओपन सेशन

तरलता (liquidity) और बाजार की सुगमता बढ़ाने के लिए सेबी ने एक और अहम कदम उठाया है. 6 दिसंबर 2025 से एफएंडओ मार्केट में भी प्री-ओपन सेशन की सुविधा शुरू की जाएगी.

अभी तक यह सुविधा सिर्फ नकद बाजार (cash market) में थी, लेकिन अब एफएंडओ में भी इसे लागू किया जाएगा. प्री-ओपन सेशन का मकसद है कि बाजार खुलने से पहले सही प्राइस डिस्कवरी हो सके और अचानक आने वाले वोलैटिलिटी (तेज़ उतार-चढ़ाव) को रोका जा सके.

निवेशकों और ट्रेडरों पर असर

नए नियमों का सीधा असर उन ट्रेडरों और निवेशकों पर पड़ेगा जो एफएंडओ में बड़े पैमाने पर पोजिशन लेते हैं. अब उन्हें लिमिट्स, बैन नियम और इंट्राडे निगरानी का ध्यान रखना होगा. छोटे निवेशकों के लिए यह नियम फायदेमंद हो सकते हैं क्योंकि इससे बाजार ज्यादा स्थिर रहेगा.

बड़े ट्रेडरों और सट्टेबाजों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी क्योंकि अब बिना सोचे-समझे बड़े दांव लगाना मुश्किल होगा. प्री-ओपन सेशन की वजह से एफएंडओ में भी बेहतर प्राइस डिस्कवरी होगी, जिससे सामान्य निवेशक को नुकसान कम झेलना पड़ेगा.

सेबी के ये नए नियम दिखाते हैं कि रेगुलेटर बाजार को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहा है. एफएंडओ बाजार भारत में सबसे तेजी से बढ़ते सेगमेंट्स में से एक है, लेकिन इसमें सट्टेबाजी भी उतनी ही तेज है. इन नियमों से उम्मीद है कि बाजार ज्यादा अनुशासित होगा और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा. आसान भाषा में कहें तो, अब एफएंडओ ट्रेडिंग करने वालों को “संयम और सावधानी” दोनों रखनी होगी.

खबर से जुड़े FAQs

Q1. सेबी के नए एफएंडओ नियम कब से लागू होंगे?

1 अक्टूबर 2025 से.

Q2. नए नियमों का मुख्य उद्देश्य क्या है?

सट्टेबाजी कम करना और जोखिम को कैश मार्केट से लिंक करना.

Q3. बैन में गए शेयरों पर क्या नियम होंगे?

केवल मौजूदा पोजिशन कम करने की अनुमति होगी, नई पोजिशन नहीं बनाई जा सकेगी.

Q4. इंट्राडे निगरानी कब से शुरू होगी?

3 नवंबर 2025 से.

Q5. प्री-ओपन सेशन एफएंडओ में कब से लागू होगा?

6 दिसंबर 2025 से.

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