क्रिसिल की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू खपत और सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगातार पूंजी निवेश (कैपेक्स) से चालू वित्त वर्ष में भारतीय कंपनियों के राजस्व में 8 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है. क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर सोमशेखर वेमुरी ने कहा कि कुल मिलाकर कॉर्पोरेट क्रेडिट क्वॉलिटी आउटलुक मजबूत बना हुआ है और EBITDA 12 फीसदी पर स्थिर रहने की उम्मीद है. जीएसटी सुधार, आयकर में छूट, कम महंगाई और ब्याज दर घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कारक बने हुए हैं. सरकार का लगातार पूंजी निवेश और घरेलू मांग में सुधार इंफ्रास्ट्रक्चर और कंजप्शन-लिंक्ड सेक्टर्स के लिए क्रेडिट क्वॉलिटी आउटलुक को सपोर्ट करेंगे.
निर्यात को लेकर है चुनौती
वेमुरी ने कहा, “इसके अलावा, बैलेंस शीट का लेवरेज पिछले दशक के निचले स्तर के करीब है, यानी वैश्विक चुनौतियां बढ़ती हैं तो स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है. हालांकि निर्यात से जुड़े क्षेत्र वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बने हुए हैं, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ द्विपक्षीय समझौतों सहित व्यापार वार्ता के सकारात्मक परिणामों और घरेलू नीतियों के समर्थन से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है.”
क्रेडिट आउटलुक स्टेबल
इस वित्त वर्ष में बैंकों और गैर-बैंकों की क्रेडिट क्वॉलिटी आउटलुक स्थिर बना हुआ है. जीएसटी सुधार और आयकर में कटौती से खपत में सुधार, कम ब्याज दरें और नीतिगत दरों में कमी से दूसरे छमाही में क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बैंक क्रेडिट पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11-12 फीसदी की दर से बढ़ेगा, जबकि गैर-बैंकों का एयूएम पिछले वित्त वर्ष की तरह 18 फीसदी की बेहतर दर से बढ़ने की उम्मीद है.
FMCG सेक्टर के लिए डिमांड आउटलुक मजबूत
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रिपोर्ट के अनुसार, सड़क, जल, सिंचाई और पावर सेगमेंट में विविध ऑर्डर बुक से कंस्ट्रक्शन सेक्टर को लाभ होगा. रिन्यूएबल एनर्जी, रोड एसेट्स, कमर्शियल रियल एस्टेट और डेटा सेंटर जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों के लिए मजबूत और अनुमानित कैश फ्लो से मदद मिलेगी. वेकेशन और बिजनेस ट्रैवल में बढ़ती मांग से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को लाभ होगा, क्योंकि मांग सप्लाई से अधिक है. इसी तरह, कम महंगाई, कर में राहत और प्रीमियम उत्पादों की बढ़ती मांग से मजबूत लाभप्रदता के कारण एफएमसीजी सेक्टर को बढ़ती मांग से लाभ होगा.
अमेरिकी टैरिफ का होगा असर
हालांकि, अमेरिकी टैरिफ का असर कुछ एक्सपोर्ट से जुड़े सेक्टर की क्रेडिट क्वॉलिटी पर पड़ेगा, क्योंकि भारत के कुल सामान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 20 फीसदी है. डायमंड सेक्टर में, ऑपरेटिंग प्रॉफिट कम होगा क्योंकि टैरिफ की चुनौतियों से खासकर लैब ग्रोन डायमंड से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण मांग पर दबाव बढ़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में ऑर्डर मिलने के बावजूद, प्रतिस्पर्द्धा बढ़ने से झींगा एक्सपोर्ट करने वालों की कमाई में भी गिरावट आएगी.
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