Maa Durga Visarjan 2025: नवरात्रि के 9 दिन बाद दुर्गा विसर्जन कब? जानिए शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व


Maa Durga Visarjan 2025: शारदीय नवरात्रि के नौ दिन भक्त मां के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं. इस समय घर और पंडालों में माता रानी के स्वरूप की पूजा-अर्चना होती है और भक्तजन पूरे श्रद्धा के साथ व्रत और कीर्तन करके वातावरण को पवित्र बनाते हैं.

लेकिन नवरात्रि के 10वें दिन मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है. साधक विसर्जन से पहले देवी मां को धन्यवाद करते हैं और षोडशोपर पूजन के बाद रोली, फूल, मिठाई आदि को अर्पित करते हैं. उसके बाद मां की आरती की जाती है.

यह करने के बाद मां को सिंदूर लगाया जाता है और ढोल-नगाड़ों के साथ मूर्ति को किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर देते हैं. यह क्षण जितना धार्मिक महत्व रखता है, उतना ही भावुक करने वाला भी होता है.

मां आती है अपने मायके 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां अपने मायके आती हैं और नौ दिनों तक भक्तों के बीच रहकर उन्हें सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. इस विदाई के समय में हर किसी की आंखें नम हो उठती हैं, मगर यह विदा अगले वर्ष के पुनः आगमन तक का वादा भी साथ लाती है.

इस वर्ष 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के दिन दोपहर 02.56 बजे तक यह किया जा सकता है.

विसर्जन की विधि 

  • मां दुर्गा के विसर्जन से पहले शहरों और गांवों में शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है और सारे भक्तजन मां दुर्गा को घर आने के लिए धन्यवाद करते हैं.
  • विसर्जन करने से पहले मां को रोली, अक्षत, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करें और श्रद्धा पूर्वक भगवती की शक्तियों की आरती करें. इसके बाद मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर उस सिंदूर को परिवार के सदस्यों को लगाएं. 
  • ढोल-नगाड़ों और भजनों के साथ भक्तजन मां की प्रतिमा को किसी पवित्र नदीं या तालाब में प्रवाहित करते हैं. इसे प्रकृति में वापस लौटाने की परंपरा के रूप में देखा जाता है.
  • कलश और सामग्री के विसर्जन के लिए पहले आम के पत्तों से जल का पूरे घर में छिड़काव करें और बच्चे हुए जल को किसी गमले या पौधे में डाल दें. 
  • कई भक्तों का मानना है कि जल में विसर्जन का अर्थ है, मां का पुनः ब्रह्मांड में विलय, ताकि अगली बार मां और अधिक शक्तियां और आशीर्वाद लेकर पुनः लौट कर आ सके. 

विसर्जन के बाद मां कैलाश चली जाती हैं

विसर्जन के समय एक विशेष भाव यह भी होता है कि मां केवल प्रतिमा के रूप में जाती हैं, लेकिन उनका साथ और कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बना रहता है. यही कारण है कि विदाई के क्षण में भक्त “अगले बरस तू जल्दी आ” जैसे जयकारे लगाते हैं.

मान्यता यह भी है कि विसर्जन के बाद मां दुर्गा वापस कैलाश भगवान शिव के पास चली जाती है. हिंदू धर्म में यह पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व हमें हमारे जीवन को सकारात्मक बनाने का उत्साह देता है. 

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