
इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025 से शुरू हुई थी. नवरात्रि के नौ दिन बाद विजयदशमी के मौके पर देशभर में रावण का पुतला फूंका जाता है. माना जाता है कि, विजयदशमी का दिन बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत है.

इस साल रावण दहन 2 अक्टूबर 2025 गुरुवार के दिन है. इस मौके पर देशभर में रावण समेत कुंभकरण और मेघनाद का पुतला फूंका जाएगा. उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में दहन के दिन रावण का पुतला फूंकने के बाद लोग जली हुई लकड़ियों को अपने घर में ले जाते हैं. आइए जानते हैं वास्तु और धार्मिक नजरिए से इसका क्या महत्व है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार रावण दहन के दौरान कभी भी रावण के सिर वाले हिस्से की लकड़ियों को ही घर में लाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि रावण महाप्रतापी होने के साथ-साथ विद्वान और उससे बड़ा कोई शिव भक्त नहीं था.

रावण की लकड़ी को घर में रखने से रिद्धि, सिद्धि, भक्ति और शक्ति मिलती है. इस दौरान पुरानी लकड़ी को घर से निकालकर नई लकड़ी ऐसी जगह रख दें, जहां कोई उसे बार-बार स्पर्श न करें. वही पुरानी लकड़ी को जल में प्रवाहित कर दें.

रावण दहन वाले दिन जलेबी जरूर खानी चाहिए. इसके साथ ही इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है. महाभारत काल में जब पांडव एक वर्ष का अज्ञातवास काट रहे थे, तो उन्हें अपने अस्त्र-शस्त्र को शमी के पेड़ में छुपे दिए थे.

हालांकि कुछ वास्तु शास्त्र के जानकार रावण की लकड़ी को घर में रखना अशुभ मानते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके मुताबिक रावण का पुतला जलाने का मतलब बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. इसको लेकर लोगों के बीच अपने-अपने तर्क हैं. कुछ लोग रावण की लकड़ी को घर में लाना शुभ तो कुछ लोग अशुभ मानते हैं.
Published at : 29 Sep 2025 08:38 PM (IST)
Read More at www.abplive.com