ग्रो की हाल में आए तीन पब्लिक बॉन्ड्स इश्यू में हिस्सेदारी डबल डिजिट में रही है। इस इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ने करीब तीन महीने पहले ही बॉन्ड्स इश्यू सेगमेंट में एंट्री की है। इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, ग्रो इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स से आगे अपने बिजनेस का विस्तार करना चाहती है। ग्रो ने इस साल जून अपने प्लेटफॉर्म पर बॉन्ड्स ऑफर करना शुरू किया था। अब तक डिस्ट्रिब्यूट किए गए इश्यू में इसकी हिस्सेदारी 10-12 फीसदी रही है।
मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि Groww फिक्स्ड इनकम कैटेगरी में इतनी ज्यादा ग्रोथ वाला पहला प्लेटफॉर्म बन गया है। अब तक इस सेगमेंट में बैंकों और ऑफलाइन डिस्ट्रिब्यूटर्स का वर्चस्व रहा है। सूत्रों ने बताया कि आईसीएल फिनकॉर्प के बॉन्ड इश्यू में रिटेल इनवेस्टर्स के लिए 8.74 लाख यूनिट्स रिजर्व थीं। ग्रो के प्लेटफॉर्म से 1.09 लाख यूनिट्स का ऐलाटमेंट हुआ। यह 12.57 की हिस्सेदारी है।
Muthootu Mini Financiers के बॉन्ड इश्यू में ग्रो ने 44,755 यूनिट्स का डिस्ट्रिब्यूशन किया। रिटेल इनवेस्टर्स के लिए कुल 4 लाख यूनिट्स रिजर्व रखे गए थे। यह 11.19 फीसदी हिस्सेदारी है। Muthoot Mercantile के बॉन्ड इश्यू में ग्रो के प्लेटफॉर्म के जरिए 68,392 यूनिट्स का ऐलॉटमेंट हुआ। इश इश्यू में रिटेल इनवेस्टर्स के लिए 6.25 लाख यूनिट्स रिजर्व रखी गई थीं।
आईसीएल फिनकॉर्प का पब्लिक इश्यू सब्सक्रिप्शन के लिए 31 जुलाई से 13 अगस्त के बीच खुला था। Muthoo Mercantile का इश्यू 16 जुलाई से 29 जुलाई के बीच खुला था। Muthootu Mini Financiers का इश्यू 18 अगस्त से 1 सितंबर के बीच खुला था। अभी ग्रो के प्लेटफॉर्म पर एडलवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज का इश्यू खुला है। यह 16 अक्टूबर को बंद होगा।
इससे पहले ग्रो का प्लेटफॉर्म शेयरों के सेगमेंट में कमाल दिखा चुका है। ग्रो एक्टिव क्लाइंट्स की संख्या के लिहाज से इंडिया की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म बन गई है। जुलाई 2025 में कैश इक्विटी सेगमेंट में मंथली ट्रांजेक्टिव यूजर्स में ग्रो की हिस्सेदारी 27 फीसदी से ज्यादा थी। इक्विटी डेरिवेटिव में इसकी हिस्सेदारी करीब 26 फासदी है।
आईपीओ मार्केट में रिटेल एलोकेशन में इस साल ग्रो की हिस्सेदारी औसतन 25 फीसदी रही है। म्यूचुअल फंड्स भी इस प्लेटफॉर्म के लिए तेजी से बढ़ता सेगमेंट रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ग्रो तेजी से ग्राहकों में अपनी पैठ बढ़ा रहा है। इसने इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स के बाद फिक्स्ड इनकम में दांव आजमाने का फैसला लिया, जो काफी सफल रहा।
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