Navratri 2025: ब्रह्मचारिणी व्रत का वैज्ञानिक रहस्य…क्या सच में यह बढ़ाता है मस्तिष्क की शक्ति और इम्युनिटी?

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की साधना को समर्पित है. शास्त्रों में यह व्रत मानसिक दृढ़ता, संयम और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना गया है. लेकिन आधुनिक समय में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच ब्रह्मचारिणी व्रत का पालन करने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) मजबूत होती है? इसका उत्तर शास्त्र और विज्ञान दोनों ही दृष्टिकोण से चौंकाने वाला है.

मां ब्रह्मचारिणी: तपस्या और संयम की प्रतीक

देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप जपमाला और कमंडलु धारण किए हुए है. वे हिमालय की पुत्री और तपस्या की देवी मानी जाती हैं. शास्त्र कहते हैं कि ध्यानमग्ना तपश्चारिणि, शुद्धभावसमन्विता. ब्रह्मचारिणि मातस्तु, शांत्यै मे वरदा भव॥ यानी हे ब्रह्मचारिणी माता! आप ध्यान और तप में लीन रहती हैं, कृपया मुझे शांति और बल प्रदान करें.

यह श्लोक दर्शाता है कि ब्रह्मचारिणी व्रत का मुख्य सार मानसिक स्थिरता और ऊर्जा को साधना है.

शास्त्रीय रहस्य

भारतीय ग्रंथों में उपवास और तप को चित्त की शुद्धि से जोड़ा गया है. जब साधक भोजन पर संयम रखता है, तब मन एकाग्र होता है. यह एकाग्रता ही बुद्धि और स्मृति को तेज करती है.

योगशास्त्र कहता है कि ब्रह्मचर्य और उपवास से मस्तिष्क की ऊर्जा (ओजस) संरक्षित रहती है. आयुर्वेद में इसे सत्त्व की वृद्धि कहा गया है, जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है.

विज्ञान की नजर से उपवास और ब्रह्मचर्य

आधुनिक विज्ञान यह स्वीकार करता है कि व्रत और संयम का सीधा असर मस्तिष्क और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग (NIH, USA) के वैज्ञानिक मार्क मैटसन की रिसर्च के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग से मस्तिष्क में BDNF (Brain-Derived Neurotrophic Factor) नामक प्रोटीन का स्तर बढ़ता है, जो न्यूरॉन्स की ग्रोथ, स्मरण शक्ति और सीखने की क्षमता को मजबूत करता है.

इसी तरह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन ने सिद्ध किया कि ध्यान और संयम से मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी यानी नई परिस्थितियों को अपनाने और मानसिक लचीलापन विकसित करने की क्षमता बढ़ती है.

इम्युनिटी के स्तर पर भी उपवास के गहरे प्रभाव सामने आए हैं. नोबेल पुरस्कार विजेता योशिनोरी ओसुमी की रिसर्च ने यह स्पष्ट किया कि उपवास से शरीर में Autophagy प्रक्रिया सक्रिय होती है, जिसमें खराब कोशिकाएं नष्ट होकर नई कोशिकाओं का निर्माण होता है.

इसी सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए Cell Metabolism जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि लगातार 72 घंटे का उपवास शरीर में नए immune cells पैदा करने में सहायक होता है, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

ब्रह्मचर्य के संदर्भ में आयुर्वेद कहता है कि संयम और सात्त्विक आचरण से ओजस की रक्षा होती है, जो शरीर की ऊर्जा और प्रतिरोधक क्षमता का मूल है. चरक संहिता में भी उल्लेख है कि ब्रह्मचर्य पालन से मानसिक और शारीरिक बल दोनों सुरक्षित रहते हैं.

आधुनिक मनोविज्ञान भी इस तथ्य की पुष्टि करता है. Baumeister और Tierney (2011) की पुस्तक Willpower में बताया गया है कि संयम और आत्मनियंत्रण डोपामिन सर्किट्स को संतुलित रखते हैं, जिससे एकाग्रता, इच्छाशक्ति और निर्णय क्षमता मजबूत होती है.

ब्रह्मचर्य और ऊर्जा का रहस्य

ब्रह्मचारिणी व्रत का मुख्य संदेश है संयम: शास्त्र कहते हैं कि इंद्रिय संयम से ओजस की रक्षा होती है. ओजस ही शरीर की प्रतिरोधक शक्ति का मूल है. आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि संयम और अनुशासन से डोपामिन लेवल संतुलित होता है, जिससे मानसिक एकाग्रता और शारीरिक शक्ति दोनों में वृद्धि होती है.

ऋग्वेद से लेकर पुराणों तक, कई ऋषि-मुनियों ने घोर तपस्या करके असंभव को संभव बनाया. इनका रहस्य केवल आस्था नहीं बल्कि मन और शरीर के वैज्ञानिक नियंत्रण में छुपा था. ब्रह्मचारिणी स्वरूप इसी तप का द्योतक है.

साधना के लाभ: यदि आज कोई साधक या सामान्य व्यक्ति ब्रह्मचारिणी व्रत का पालन करता है तो उसे ये लाभ मिल सकते हैं:-

  • मानसिक स्वास्थ्य: तनाव कम, आत्मविश्वास बढ़े.
  • शारीरिक ऊर्जा: डिटॉक्सिफिकेशन और इम्युनिटी में वृद्धि.
  • मस्तिष्क शक्ति: याददाश्त और सीखने की क्षमता में सुधार.
  • आध्यात्मिक बल: आत्मनियंत्रण और संयम से सकारात्मक सोच.

क्या हर किसी को व्रत करना चाहिए?

  • स्वस्थ व्यक्ति: पूर्ण उपवास या फलाहार कर सकता है.
  • रोगी,गर्भवती, बच्चे: कठोर व्रत से बचना चाहिए, केवल सात्त्विक आहार लेना चाहिए.

शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन केवल धार्मिक आस्था का नहीं बल्कि मानसिक और शारीरिक विज्ञान का भी उत्सव है. मां ब्रह्मचारिणी का व्रत यह सिखाता है कि संयम और ध्यान से साधक की बुद्धि तेज होती है, उसकी इम्युनिटी मजबूत होती है और आत्मबल अटूट बनता है.

इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ब्रह्मचारिणी व्रत वास्तव में मस्तिष्क की शक्ति और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला वैज्ञानिक साधन है.

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