चीन में मंदिर के धन का उपयोग निजी कामों में करने के शक में बौद्ध भिक्षुओं पर कार्रवाई शुरू हो गई है. चीनी प्रशासन के अनुसार यह धार्मिक संस्थानों को रेगुलेट करने और मंदिर के पैसों में पारदर्शिता लाने को लिए किया जा रहा है. चीन में धार्मिक संस्थानों की अर्थव्यवस्था इस साल 100 बिलियन युआन तक पहुंचने की उम्मीद है.
चीन में मंदिरों का इतिहास उथल-पुथल भरा रहा है. 1950 के दशक में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के भूमि सुधार अभियान के दौरान, मठों से उनकी संपत्ति छीन ली गई थी. 1960 और 1970 के दशक में सांस्कृतिक क्रांति के दौरान कई धार्मिक स्थल नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए. हालांकि 1980 के दशक में जैसे ही चीन आर्थिक सुधार के दौर में पहुंचा वैसे ही फिर से मंदिरों का प्रचलन बढ़ गया. इस दौरान कई लोग अपनी आजीविका के लिए पर्यटन की ओर रुख करने लगे.
मठाधीश बनने के बाद शी योंगक्सि की बढ़ी ताकत
इस दौरान जिन प्रमुख मठाधीशों को व्यक्तिगत रूप से लाभ हुआ, उनमें ‘शी योंगक्सिन‘ सबसे बड़े थे. शी 1981 में 16 साल की उम्र में हेनान प्रांत के शाओलिन मंदिर में शामिल हुए थे. उस समय, मंदिर खंडहर में था, लेकिन जैसे-जैसे शी मठाधीश के पद तक पहुंचे, उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से प्रार्थना कक्षों को फिर से खोलने और पर्यटकों को टिकट बेचने के लिए बातचीत की. जल्द ही लाखों लोग मंदिर में आने लगे. द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार उस समय मंदिर में आए धन का 70 फीसदी हिस्सा रख लेती थी.
मंदिर के मठाधीश के पद पर पहुंचने के बाद शी का सितारा चमक उठा. 2006 में, डेंगफेंग शहर की सरकार ने स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के रूप में उन्हें 10 लाख युआन (1.24 करोड़ रुपये से अधिक) की एक लग्जरी स्पोर्ट्स कार गिफ्ट कर दी. अब तक शी के पास काफी पैसे हो गए और पैसे के साथ राजनीतिक ताकत भी आई.
1998 से 2018 के बीच उन्होंने चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में एक प्रतिनिधि के रूप में काम किया. इस दौरान उन्होंने नेल्सन मंडेला, हेनरी किसिंजर और महारानी एलिजाबेथ II से मुलाकात की. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर मार्शल आर्ट के जानकार भिक्षुओं के एक दल को एक विशेष कार्यक्रम के लिए मॉस्को ले गए.
पैसे की हेराफेरी समेत लगे ये गंदे आरोप
शी योंगक्सिन के खिलाफ जुलाई 2025 में पैसे की हेराफेरी और कई महिलाओं से अवैध संतान पैदा करने के आरोप लगे, जिसका जांच चल रही है. इसके बाद उन्हें मठाधीश के पद से बर्खास्त कर दिया गया. सके बाद से उनका कोई पता नहीं चला. इस घटना ने चीन के प्रभावशाली धार्मिक नेताओं को लेकर लोगों की सोच बदल दी. धार्मिक स्थलों को सरकार की मदद से व्यवसाय का अड्डा बना दिया गया.
चीन के झेजियांग प्रांत की पुलिस ने जुलाई महीने में दाओलू नामक एक प्रसिद्ध भिक्षु पर धोखाधड़ी के मामले की जांच की. इस दौरान बौद्ध संघ ऑफ चाइना की ओर से उन्हें दी गई उपाधि छीन ली गई. दाओलू का असली नाम वू बिंग है, जिस पर अविवाहित गर्भवती महिलाओं और जरूरतमंद बच्चों के लिए धन इकट्ठा करने की आड़ में जनता से चंदा इकट्ठा करने का आरोप है.
एक अन्य भिक्षु का वीडियो वायरल
अगस्त में हांग्जो के लिंगयिन मंदिर के भिक्षुओं का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे एक मेज के चारों ओर बैठकर नोटों की गड्डियां गिन रहे थे. इस पर एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, “जो लोग बुद्ध की पूजा करते हैं वे गरीब हो जाते हैं और भिक्षु अमीर हो जाते हैं.”
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पारंपरिक चीनी धर्मों में विशेष रुचि दिखाई है. अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने महत्वपूर्ण बौद्ध मंदिरों को फिर से खोलने और उन्हें पर्यटन स्थलों में बदलने में मदद की. हाल के वर्षों में उन्होंने धार्मिक स्थलों को व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिशों को कम किया है.
2017 में बीजिंग ने धार्मिक मामलों पर अपने नियमों में संशोधन किया. नए नियमों में यह प्रावधान किया गया था कि बौद्ध और ताओवादी स्थल गैर-लाभकारी होने चाहिए और धूपबत्ती जलाने और भविष्यवाणी के लिए लॉटरी निकालने जैसी धार्मिक प्रथाओं के अत्यधिक प्रचार पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
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