बिहार चुनाव को लेकर विस्तारित सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस वर्किंग कमिटी) की बैठक 24 सिंतबर को पटना में होने जा रही है. इस कमिटी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस के सभी मौजूदा मुख्यमंत्री और भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई दिग्गज नेता शामिल होंगे. ऐसे में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं की ये बैठक अचानक से पटना में रखने के पीछे क्या वजह हो सकती है, इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा बढ़ गई है.
दरअसल इस बैठक को कांग्रेस की एक बड़ी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों की मानें तो बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के बाद कांग्रेस नेताओं के बीच इस बात की चर्चा है कि राहुल गांधी की इस यात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चार्ज कर दिया है. बिहार में आम लोगों में भी कांग्रेस को लेकर उत्सुकता बढ़ी है.
बिहार में कांग्रेस करेगी शक्ति प्रदर्शन
ऐसे में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इस मूमेंटम को बनाए रखना होगा और इसके लिए कांग्रेस को समय-समय पर बिहार में अपनी ताकत और उपस्थिति दिखानी होगी. कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की इस बैठक के जरिए पार्टी बिहार में एक तरीके का शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में है.
इस शक्ति प्रदर्शन के जरिए ना सिर्फ विरोधी पार्टियों को, बल्कि महागठबंधन में शामिल बाकी सहयोगी पार्टियों को भी कांग्रेस एक बड़ा संदेश देने जा रही है. संदेश ये कि बिहार में ना सही, लेकिन देशभर में कांग्रेस, BJP के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. ऐसी पार्टी जिसकी एक से अधिक राज्यों में सरकार है. एक तरह से कांग्रेस महागठबंधन में शामिल बाकी दलों पर भी इस बैठक के जरिये दबाव डालने की कोशिश करती हुई नजर आएगी.
सहयोगी दलों पर कांग्रेस का दबाव
इसके पीछे एक बड़ी वजह ये भी है कि अभी तक महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. साथ ही पसंदीदा सीटों को लेकर भी गठबंधन में पेंच फंसा हुआ है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अब लगातार सहयोगी दलों पर इस बात का दबाव बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसे मनचाही सीटें मिल सके.
यही वजह है कि कांग्रेस ने अभी तक ना तो मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अपने पत्ते खोले हैं और ना ही पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर हामी भरी है. पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस को लगता है कि सीट बंटवारे से पहले अगर अपनी ताकत खुलकर दिखाई गई तो फिर बाकी पार्टियों पर इसका दबाव बनेगा और कांग्रेस मनचाही सीटों पर चुनाव लड़ पाएगी.
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